ओणम त्योहार पर निबंध Onam Festival Essay in Hindi

इस लेख में आप ओणम त्योहार पर निबंध (Onam Festival Essay in Hindi) हिंदी में पढ़ेंगे। ओणम त्योहार के बारे में अधिकतर परीक्षाओं में पूछा जाता है इसलिए इस निबंध में ओणम क्या है, कब है और इसे कैसे मनाते हैं तथा ओणम का महत्व व पौराणिक कथा को शामिल किया गया है।

ओणम त्योहार पर निबंध Onam Festival Essay in Hindi

भारतीय सनातन संस्कृति में पंथ और संप्रदायों की विविधता देखने को मिलती है। ओणम ऐसे ही विविधता को दर्शाने वाला त्योहार है। त्योहारों को मानव समाज का दर्पण भी कहा जाता है, क्योंकि इससे उनके रहन-सहन व शिक्षा तथा धार्मिक उन्मुखता का प्रदर्शन होता है।

भारतीय संस्कृति की गहराई को इसके त्योहारों के माध्यम से देखा जा सकता है। यह त्यौहार किसी पंथ या संप्रदाय विशेष के लिए नहीं बल्कि समूचे मानव समाज को एक नवीन दिशा प्रदर्शित करने के लिए आते हैं।

जीवन के पालनकर्ता कहे जाने वाले भगवान विष्णु अपने सभी अवतारों में जनजीवन को पुण्य तथा मानवता का संदेश देते हैं। ओणम त्यौहार में भी उनके एक प्रमुख अवतार के माध्यम से अनौचित्य क्रियाकलापों को रोककर सत्य तथा धर्म की स्थापना की पहल की गई थी।

ओणम पर्व दक्षिण भारत का एक ऐसा ही प्रसिद्ध त्योहार है जो अपनी पौराणिक कथा के माध्यम से सामान्य जनजीवन में सकारात्मकता और नवीनता का संचार करता है।

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ओणम क्या है? What is Onam in Hindi?

भारत के ज्यादातर त्योहारों के नाम संस्कृत शब्द से लिए गए हैं। ओणम शब्द भी संस्कृत शब्द श्रवणम से लिया गया है। श्रवणम 27 नक्षत्रों में से एक को दर्शाता है। मलयालम में थिरु शब्द को भगवान श्री हरि के लिए उपयोग किया जाता है और थिरुवानेम भगवान विष्णु के नक्षत्र को प्रदर्शित करता है।

भगवान विष्णु ने महान और पराक्रमी राजा बलि के अहंकार को नष्ट कर उसे पाताल में भेजा था। बलि बेहद ही बलशाली और विद्वान और न्यायप्रिय राजा था, भगवान विष्णु की लीलाओं और राजा बलि की न्यायप्रियता के कारण ही ओणम पर्व मनाया जाने लगा।

हालांकि कई ग्रंथ इस घटना को अलग अलग तरीके से बताते हैं लेकिन सभी में भगवान विष्णु द्वारा महान राजा बलि के अहंकार को नष्ट कर समाज में मानवता का भाव बढ़ाने की लीला करते हुए बताया गया है।

ओणम केरल का एक मुख्य त्यौहार है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार यह नव वर्ष की शुरुआत का पहला दिन है। नव वर्ष के पहले महीने को मलयालम में चिंगम कहा जाता है। पौराणिक घटनाओं से मिलती सीख को समाज में बनाए रखने के लिए ओणम त्यौहार मनाया जाता है।

ओणम कब है? When is Onam in Hindi?

ओणम को मलयाली अवधी कैलेंडर कोल्लवारम के अनुसार वर्ष का पहला दिन माना जाता है। यह हर वर्ष अगस्त या सितंबर महीने में आता है।

सन 2022 में यह 8 सितंबर को पड़ने वाला है। यह  दस दिनों तक चलने वाला एक जीवंत और मनोरंजक त्यौहार हैं। इसके 10 दिनों को बेहद अनोखे तरीके से मनाया जाता है इसलिए हर वर्ष लोगों को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है।

ओणम का महत्व Importance of Onam in Hindi

सनातन संस्कृति के अंतर्गत आने वाले हर त्यौहार का अपना अलग महत्व है। दक्षिण भारत के ज्यादातर ग्रंथों ने सनातन संस्कृति की व्याख्या को लंबे समय तक संभाल कर रखा है। उन्हीं ग्रंथों में से एक से ओणम पर्व की व्याख्या मिलती है।

ओणम त्योहार जग के पालनकर्ता श्री भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है। भगवान विष्णु ने कुल 10 अवतार धारण कर पृथ्वी को भय मुक्त किया है। ओणम के महत्व को दर्शाते अनेक पहलू हैं जैसे अति अहंकार से मानवता के हानि और स्वयं का विनाश ही होता है।

भगवान श्री हरि ने अपने 10 अवतारों में से एक श्री राम और श्री कृष्ण अवतार में राक्षसों का संहार कर धरती को पाप से मुक्त किया था। उन्हीं के अवतारों में से एक श्री वामन देवता इस त्यौहार के महत्व को और बढ़ा देते हैं।

ओणम त्यौहार के महत्व को तीन पहलुओं के माध्यम से जाना जा सकता है। इसके धार्मिक पहलुओं के अनुसार यह जन समूह में ईश्वर तथा उनकी अच्छाइयों के प्रति आस्था को बढ़ाकर समाज में समरसता तथा पुण्य प्रसार करने में सहायक होता है।

सांस्कृतिक पहलुओं के अनुसार यह सनातन संस्कृति के जरूरी और प्रेरणादायक घटनाओं को संकलित कर जन समूह में अपने धर्म के प्रति सजगता और दृढ़ता का संचार करता है।

आज के समय जहां पाश्चात्य ने ज्यादातर मनुष्य के दिमाग को कब्जा कर रखा है वहीं पर यह त्योहार उनकी मानसिकता पर कुठाराघात कर उन्हें सनातन के ज्ञान से अवगत करवाता है।

ओणम त्योहार के सामाजिक महत्व को बेहद आसानी से समझा जा सकता है। आज के समय हिन्दू अपनी जाति और लिंग के भेदभाव के कारण आपस में बटा हुआ है, ऐसे में यह त्यौहार ही एक माध्यम है जिसके कारण हिंदू एकत्रित होकर अपने धार्मिक त्योहारों और रहन-सहन पर गर्व अनुभव करते हैं।

इस डिजिटल युग में वर्तमान तथा आने वाली पीढ़ी हमारे सांस्कृतिक मूल्यों से अछूते न रह जाएं इसलिए इस त्यौहार का महत्व और भी बढ़ जाता है।

ओणम कैसे मनाते हैं? How Onam is celebrated in Hindi?

पूरे भारत भर में केरल के लोग इस पर्व को बेहद धूमधाम से मनाते हैं। यह त्यौहार उनके लिए एक भावनात्मक जुड़ाव लेकर आता है जिसका वह पूरे वर्ष बेसब्री से इंतजार करते रहते हैं।

यह त्यौहार लगभग 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसलिए लोगों में इसके आने के कई दिनों पहले से उत्साह भरा रहता है। छोटे बच्चे अपने विद्यालय की छुट्टी के लिए इस त्यौहार का इंतजार करते रहते हैं।

ओणम त्योहार के कई दिनों पहले से ही लोग घरों की साफ-सफाई तथा खरीदारी करने लगते हैं। कई दिनों पहले से ही इस त्यौहार की रूपरेखा तैयार की जाने लगती है।

लोगों के उल्लास को दुगनी रफ़्तार देने के लिए सरकार के द्वारा इस त्यौहार के दिन विशेष सुरक्षा तथा तैयारी की जाती है। छोटे व्यवसाय हो या बड़े सभी बेहद खुश होते हैं क्योंकि इस त्यौहार के आने से बाजार में रौनक आ जाती है।

10 दिनों के इस त्यौहार में पहले दिन राजा बलि के पाताल लोक जाने की तैयारी की जाती है। दूसरे दिन को चिथिरा कहा जाता है। इस दिन फूलों का कालीन बनाने का रिवाज है, जिसे पुक्कलम कहते हैं। इस दिन कई जगहों पर प्रतियोगिताएं भी रखी जाती हैं।

तीसरे दिन को चोधी कहा जाता है, इस दिन पुक्कलम के अगली परत को बनाने का कार्य किया जाता है। चौथे दिन को विशाकम कहा जाता है इसमें खासकर मनोरंजक प्रतियोगिताएं रखी जाती हैं जिनमें लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

पांचवें दिन को अनिज्म कहा जाता है। इसमें खासकर नौका दौड़ की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। छठवें दिन को थ्रिकेता कहते हैं इस दिन से ओणम की छुट्टियां शुरू हो जाती हैं। सातवें दिन को मूलम कहा जाता है इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

आठवें दिन को पूरादम कहते हैं, इस दिन महाबली और वामन की मूर्तियों की स्थापना की जाती है तथा तरह तरह के फूलों से सजाया जाता है। नौवें दिन को ऊथ्रादोम कहते हैं इस दिन महाबली राज्य में प्रवेश करते हैं दसवे दिन को थिरोवोनम कहा जाता है इस दिन मुख्य ओणम का त्यौहार मनाया जाता है।

इस त्यौहार के दिन जनता अपने घरों को आकर्षक रूप से सजाती है। चारों ओर खुशी का वातावरण छाया हुआ होता है लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं तथा आकर्षक रंगोली बनाते हैं। घरों में भगवान विष्णु तथा राजा बलि की मूर्ति को भी रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाता है।

दोनों की भव्य तरीके से पूजा की जाती है। पूजा अर्चना के बाद लोग नए कपड़े पहनते हैं इसमें महिलाएं मुख्यतः सफेद कपड़ा और बालों में सफेद गजरा धारण करती है। पुरुष पारंपरिक धोती कुर्ता पहनते हैं।

पूरे दिन भर मंदिरों में भीड़ रहती है कई जगहों पर मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें तरह-तरह के नृत्य, नौका दौड़ और हाथियों का जुलूस निकाला जाता है।

इस दिन केरल का लोक नृत्य कथकली प्रदर्शित किया जाता है। कार्यक्रम के बाद केले के पत्ते पर भोजन किया जाता है जिसमें मुख्यतः ओनसद्या होता है तथा चार से पांच प्रकार की सब्जियां भी होती हैं और कुल 30 से भी अधिक व्यंजन होते हैं।

ओणम त्यौहार के दिन ओनकलिकालः का आयोजन होता है जिसमें पुरुषों के लिए तरह-तरह के खेलों का आयोजन किया जाता है। जिसमें तीरंदाजी भी शामिल होती है इस तरह लोग पूरे दिन भर मौज मस्ती के साथ भगवान विष्णु और राजा बलि के प्रति अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हैं।

ओणम का इतिहास और पौराणिक कथा History of Onam in Hindi

श्रीमद भगवत गीता में कहा गया है कि जब-जब धरती पर अन्याय और अत्याचार बढ़ेगा, तब-तब वे किसी न किसी अवतार में आकर धरती से अन्याय का नामोनिशान मिटा देंगे। कुछ इसी प्रकार की घटना पौराणिक कथाओं में देखने को मिलती है।

भगवान विष्णु के परम भक्त कहे जाने वाले प्रहलाद एक दैत्य वंश के होने के बावजूद भी भगवान के प्रति आस्था तथा भक्ति के कारण पूरे जग में प्रसिद्ध हो गए। प्रहलाद के पोते बलि भी उनके ही गुणों के साथ पैदा हुए थे।

राजा महाबली बेहद ख्यातिवान और दानवीर राजा थे। कहा जाता है कि उनके राज्य में कोई भी अन्याय तथा दुख से पीड़ित नहीं रहता था। उनके द्वार से कोई भी खाली हाथ वापस नहीं जाता था।

ठीक प्रहलाद की तरह ही राजा बली भगवान विष्णु के भक्त थे। उनकी प्रजा उन्हें भगवान की तरह पूजती थी और वह भी अपनी प्रजा से उतना ही प्रेम करते थे। वे अपने राज्य के सभी व्यक्तियों की खुशियों का ख्याल रखते थे।

अपनी प्रजा का इतना ख्याल रखते रखते उनके मन में अहमभाव ने जगह बना लिया और वह खुद को बड़ा दानवीर समझने लगे। उनके इस अहम के भाव को देखकर देवता भयभीत होने लगे क्योंकि देवताओं को डर था कि राजा बलि अहम के कारण स्वर्ग पर अधिकार प्राप्त ना कर ले।

सभी देवता भगवान विष्णु के पास जाकर अपने संशय को प्रदर्शित करने लगे और भगवान विष्णु से उनकी रक्षा करने के लिए विनती करने लगे। क्योंकि भगवान विष्णु बेहद ही दयावान है वह अपने भक्तों को बुराई से दूर रखते हैं।

भगवान विष्णु ने सभी देवताओं को आश्वासन दिया और अवतार लेकर राजा बलि का अहंकार नष्ट करने की बात कही। अपने कहे अनुसार भगवान विष्णु ने वामन अवतार में धरती पर जन्म लिया।

एक बार राजा बलि अपने राज्य में सब को दान दे रहे थे तभी वामन देवता वहां आ गए और उन्होंने बली को कुछ देने का आग्रह किया। इस बात पर राजा बलि ने कहा आपको जो चाहिए आप मांग सकते हैं।

वामन देवता ने कहा मुझे जो चाहिए आप नहीं दे सकते। इस बात पर राजा बलि ने वामन देवता का उपहास उड़ाते हुए खुद को कुछ भी देने में सक्षम बताया और खुलकर मांगने के लिए कहा।

राजा बलि की बात सुनकर वामन देवता ने सिर्फ तीन पग जमीन मांगी। इस बात से राजा बलि ने उनका और भी उपहास उड़ाया और कहा कि आप बेझिझक दुनिया की कोई भी चीज मांग सकते हैं मैं देने में सक्षम हूं।

वामन देवता ने अपनी बात दोहरा दी और तीन पग जमीन ही मांगी। राजा बलि ने उनसे अपनी मनचाही जमीन नापने की बात कही, तो उन्होंने पहले कदम में पूरी पृथ्वी को नाप लिया। दूसरे कदम में उन्होंने पूरे अंतरिक्ष को नाप लिया।

इतना देखते ही राजा बलि को अपनी भूल का एहसास हुआ और तीसरे कदम उठाने से पहले ही उन्होंने वामन देवता के चरण पकड़ लिए और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। उन्हें बिलखते देखकर वामन देवता ने उन्हें माफ कर दिया लेकिन उन्हें राजगद्दी का त्याग कर पाताल जाकर राज करने के लिए कहा।

उनकी भक्ति से खुश होकर वामन देवता ने उन्हें एक वरदान मांगने को भी कहा। वरदान के रूप में राजा बलि ने वर्ष में एक बार अपनी प्रजा को देखने का वरदान मांगा और वामन देवता ने इसे मान लिया।

यही कारण है कि ओणम के दिन राजा बलि अपनी प्रजा को देखने के लिए आते थे। यह कार्यक्रम एक रिवाज बन गया और आज भी लोग इसी आस में ओणम त्योहार को मनाते हैं कि राजा बलि उनके राज्य में सभी को हंसी खुशी से परिपूर्ण देखें।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने ओणम त्योहार पर निबंध (Onam Festival Essay in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।

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