लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी Biography of Lal Bahadur Shastri in Hindi

इस लेख में आप लालबहादुर शास्त्री की जीवनी Biography of Lal Bahadur Shastri in Hindi पढ़ेंगे। इसमें उनका परिचय, जन्म, प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, राजनीतिक जीवन, प्रधानमंत्री के रूप में कार्य, और मृत्यु के विषय में पूरी जानकारी दी गई है।

लालबहादुर शास्त्री का परिचय Introduction of Lal Bahadur Shastri in Hindi

आज के समय में हर कोई झूठ और फरेब के बलबूते पर समाज से सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहता है। यदि देश के छोटे पद के मंत्रियों से लेकर बड़े बड़े राजनेताओं की बात करे तो मुश्किल से ऐसे गिने-चुने लोग होंगे जिन्होंने अपनी राजनीतिक जिंदगी में वाकई में देशवासियों की निस्वार्थ होकर सेवा की होगी।

ऐसे लोग कभी भी देश के एक महान प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में नहीं समझ पाएंगे, जिन्होंने अपनी जिंदगी में केवल आम लोगों का शोषण और भ्रष्टाचार करने का कार्य किया होगा। लाल बहादुर शास्त्री भारतीय इतिहास के एक ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने खुद कष्ट सहकर भी अपने देश की सेवा की। 

जय जवान जय किसान” का नारा देने वाले शास्त्री जी एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। एक प्रसिद्ध कहावत है, कि सोने को जितना अधिक तपाया जाता है, उसकी कीमत उतनी ही अधिक बढ़ जाती है। 

यह बात भारत के दिग्गज प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी पर भी लागू होती है, जिन्होंने अपनी जिंदगी को देशवासियों के लिए पूरी तरह कुर्बान कर दिया था।

जिन कठिन परिस्थितियों में लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधानमंत्री के पद पर चुने गए थे, वह समय काल आज तक का सबसे कठिन राजनीतिक दौर माना जाता है। हिंदुस्तान की आबादी और बर्बादी दोनों ही प्रधानमंत्री के एक निर्णय से प्रभावित हो सकती थी। 

लेकिन शास्त्री जी ने कभी भी चुनौतियों के सामने हार नहीं मानी और हमेशा दुश्मनों का डटकर सामना किया। देखा जाए तो लाल बहादुर शास्त्री अगर स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री होते तो कभी भी हिंदुस्तान के अक्साई चीन पर चाइना कब्ज़ा नहीं कर पाता।

इसके अलावा शास्त्री जी सबसे पहले राजनेता थे, जिन्होंने किसानों और देश के जवानों के बारे में सोचा और उनकी सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान भी किए।  

हर वर्ष 2 अक्टूबर के दिन श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मनाई जाती है। जिस दिन पूरे भारत में छुट्टी होती है। भारत वाकई में बहुत ही खुशनसीब है जिन्हें लाल बहादुर शास्त्री जैसे महान प्रधानमंत्री मिले।  

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लालबहादुर शास्त्री का प्रारम्भिक जीवन Early Life of Lal Bahadur Shastri in Hindi

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 2 अक्टूबर 1904 को श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म एक मध्यमवर्गीय हिंदू परिवार में हुआ था। शास्त्री जी अपने तीन भाई बहनों में से सबसे छोटे थे, जिसके कारण उन्हें अपने माता-पिता से सबसे ज्यादा दुलार किया जाता था। 

उनके पिता एक विद्यालय के अध्यापक थे, जो परिश्रम करके अपने परिवार का गुजारा करते थे तथा माता एक एक गृहणी थी जो अपने बच्चों को अच्छे संस्कार तथा परवरिश देती थी।

एक अध्यापक होने के कारण अक्सर लोग उनके पिता को मुंशी जी कहकर पुकारा करते थे। मुंशी जी कुछ समय बाद अध्यापक का कार्य छोड़कर राजस्व विभाग में क्लर्क की नौकरी करने लगे। शास्त्री जी की माता का नाम रामदुलारी था जो स्वभाव से बेहद शांत और संस्कारी महिला थी।

शास्त्री जी की परवरिश काफी अच्छे माहौल में हुई थी। लेकिन उनके अंदर बचपन से ही देश प्रेम की भावना समाहित थी। दुर्भाग्यवश शास्त्री जी बहुत छोटे थे लगभग डेढ़ वर्ष के तभी उनके पिता की किसी कारण वश मृत्यु हो गई। 

इसके बाद उनके परिवार को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पूरे परिवार में केवल एक ही जन कमाने वाले थे, जिनकी अब निधन हो चुकी थी इसके बाद शास्त्री जी की माता अपने सभी बच्चों को लेकर माईके रहने चली गई।

कुछ सालों बाद ही श्रीमती रामदुलारी जी के पिता का देहांत हो गया जिसके बाद जैसे संकट की बौछार उनके परिवार पर होने लगी। बिना पिता के साया के बालक शास्त्री जी की परवरिश इसके बाद उनके मौसा जी रघुनाथ प्रसाद द्वारा की गई। 

लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन में यह एक ऐसा समय था जब उन्होंने भूमि स्तर पर गरीबी की मार झेली थी लेकिन उनकी आंखों में देश सेवा का जो सपना था, उन्हें औरों से अलग बनाता था।

लालबहादुर शास्त्री की शिक्षा Education of Lal Bahadur Shastri in Hindi

परिस्थितियां कुछ अच्छी नहीं चल रही थी, लेकिन इसके बावजूद शास्त्री जी ने अपनी शिक्षा पर कोई प्रभाव नहीं होने दिया और परिवार वालों की सहायता से उन्होंने ननिहाल में रहते हुए प्राथमिक शिक्षा ग्रहण किया। इसके बाद काशी विद्यापीठ के हरीश चंद्र हाई स्कूल में दाखिला लेकर उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।

बताया जाता है कि शास्त्री जी पढ़ाई लिखाई में बहुत तेज थे। अपने सहपाठियों के मुकाबले लाल बहादुर शास्त्री काफी होनहार छात्र थे, विद्यालय की तरफ से कई छात्रवृत्ति  तथा विद्यार्थी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका था।

हरिश्चंद्र हाई स्कूल में पढ़ते समय देश में स्वतंत्रता संग्राम के लिए लोगों द्वारा आंदोलन चलाए जा रहे थे, जिससे शास्त्री जी बहुत प्रभावित हुए और उनके मन में भी देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना उमड़ने लगी थी। विद्यापीठ से अपनी पढ़ाई पूरी करने के पश्चात लाल बहादुर जी को शास्त्री की उपाधि दी गई। 

जिसके बाद उन्होंने अपने नाम के आगे से श्रीवास्तव हटाकर हमेशा के लिए शास्त्री को अपना उपनाम बना लिया। जिसके बाद से हर जगह उन्हें शास्त्री जी कहकर संबोधित किया जाने लगा।

कहा जाता है कि जब वह विद्यार्थी थे, तो गांधीजी और अन्य कई क्रांतिकारियों से प्रभावित होकर उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने का निर्णय लिया था, जिससे उनकी माता बहुत निराश हुई थी। 

परिवार वालों के समझाए जाने के बाद उन्होंने पढ़ाई न छोड़ने का निर्णय लिया और आगे चलकर संस्कृत भाषा में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद देश के आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने लगे।

विवाह Marriage

सन 1928 में लाल बहादुर शास्त्री जी का विवाह ललिता शास्त्री के साथ हुआ। शादी के पश्चात इनके 6 बच्चे हुए। जिनमे 2 पुत्रियाँ और 4 पुत्र हुए।

लालबहादुर शास्त्री के राजनीतिक जीवन की शुरुवात Beginning of Lal Bahadur Shastri’s political career in Hindi

विद्यार्थी जीवन से ही लाल बहादुर शास्त्री गांधी जी की विचारधारा से काफी प्रभावित थे। अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे देश में होने वाले विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। 

कुछ समय तक कार्य करने के बाद शास्त्री जी ने भारत सेवक संघ से जुड़े और यही उनकी मुलाकात राजनेताओं से होना प्रारंभ हुई या फिर यू कहा जा सकता है, कि यह शास्त्री जी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत थी।

लाल बहादुर शास्त्री कभी भी शोहरत कमाने में रुचि नहीं रखते थे, बल्कि वे गरीबों की सेवा में अपना पूरा जीवन लगाने से नहीं कतराते थे। 

सादा जीवन और उच्च विचार वाले ऐसे महान नेता जब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों से जुड़े तो जैसे इन आंदोलनों को एक विशेष गति मिली। कुछ समय तक प्रदर्शन में अपना समय देने के बाद कांग्रेस पार्टी से जुड़े जहां उनकी मुलाकात बड़े नेताओं जैसे जवाहरलाल नेहरू, गांधी जी इत्यादि से हुई।

जिस समय भारत अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहा था तब पूरी दुनिया में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ा हुआ था। आजाद हिंद फौज को जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ‘चलो दिल्ली’ का नारा दिया। 

गांधी जी ने भी माहौल को भांफकर अपने अहिंसा वादी विचारधारा को थोड़ा विपरीत दिशा में मोड़ा और 8 अगस्त 1942 की रात को मुंबई से गांधी जी ने देशवासियों को संबोधित करके कहा कि आजादी पाने के लिए हमें युद्ध स्तर पर संघर्ष करना होगा और संबोधित करने के बाद गांधी जी ने क्रांतिकारियों को एक नारा दिया ‘करो या मरो’।

शास्त्री जी के विषय में कहा जाता है कि वे इतना सटीक सोचते थे कि सामने वाले व्यक्ति के विचारों को भी समझ जाते थे। 1942 में जब गांधी जी ने देशवासियों को करो या मरो का नारा दिया तो इससे शास्त्री जी थोड़े परेशान हुए। 

क्योंकि उनका मानना था कि गांधीजी के केवल एक वचन पर पूरा देश कट मरने को तैयार रहता है और वैसे मैं करो या मरो केवल बेबसी को दर्शा रहा है।

चतुराई पूर्वक शास्त्री जी इलाहाबाद पहुंचकर 9 अगस्त 1942 के दिन गांधीवादी अहिंसक सिद्धांत करो या मरो को बदलकर ‘मरो नहीं मारो’ कर दिया। जैसा सोचा था ठीक वैसे ही हुआ, लोगों के अंदर पहले से ज्यादा उत्साह आ गया। 

लाल बहादुर शास्त्री जी की भूमिका देश की आजादी में बेहद महत्वपूर्ण रही है। युद्ध स्तर पर आंदोलनकारियों का सहयोग करने और देश में अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन भड़काने के लिए शास्त्री जी सहित कई कांग्रेसी नेता और क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

प्रधानमंत्री के पद पर लालबहादुर शास्त्री Lal Bahadur Shastri as Prime Minister in Hindi

आजादी के पश्चात पूरे देश में लाल बहादुर शास्त्री जी को हर कोई पहचानने लगा था। कहा जाता है कि जब आजाद भारत में पहली बार प्रधानमंत्री का चुनाव किया गया था, तो लोगों ने लाल बहादुर शास्त्री जी को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव भी रखा था लेकिन गांधीजी ने ना ही सरदार वल्लभ भाई पटेल को प्रधानमंत्री बनने दिया और ना ही लाल बहादुर शास्त्री को।

स्वच्छ छवि वाले गुणों के धनी श्री लाल बहादुर शास्त्री जी 1964 में देश के प्रधानमंत्री बनाए गए। शायद लाल बहादुर शास्त्री जी हिंदुस्तान के पहले ऐसे राजनेता थे जिन पर विपक्ष भी आरोप लगाने में नाकामयाब रहा था।

उन्होंने हर पहलू में गरीबों पर मुख्य ध्यान केंद्रित किया। जिसमें उन्होंने सबसे पहले खाद्यान्न सामग्री के बढ़ते मूल्यों को स्थिर किया। जिससे कुछ हद तक देश में गरीबी दर और भुखमरी की समस्या कम हुई।

हिंदुस्तान के नए प्रधानमंत्री के रूप में शास्त्री जी ने वह सब कर दिखाया जिसे जवाहरलाल नेहरू, जो प्रथम प्रधानमंत्री बने थे वह करने में नाकामयाब रहे थे। 

कहते हैं, लाल बहादुर शास्त्री जी से हमारे नापाक पड़ोसी मुल्क भी खौफ खाते थे। स्वाभिमान शास्त्री जी के जीवन का हिस्सा था, जिससे उन्होंने अपने देश का सम्मान कभी भी कम नहीं होने दिया।

प्रधानमंत्री का दौर उस समय इतना कठिन था कि किसी भी वक्त देश पर हमले का खतरा मंडराता रहता था। 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर अचानक से हमला कर दिया। 

जाहिर सी बात है कि उस समय हिंदुस्तान को कोई भी देश तवज्जो नहीं देता था, जिससे नापाक देश पाकिस्तान को और हिम्मत मिलती थी, कि वह हिंदुस्तान पर हमला करके उसकी जमीन हड़प सके। लेकिन पाकिस्तान ये भूल गया था कि 1965 में देश के प्रधानमंत्री कोई और नहीं बल्कि लाल बहादुर शास्त्री थे।

शास्त्री जी ने हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जिसकी कल्पना भी पाकिस्तान ने नहीं की होगी। 1965 के साल में भारत पाकिस्तान के बीच बहुत भयानक युद्ध चल रहा था। भारतीय सेना ने अपना पराक्रम दिखाकर पाकिस्तान की जमीन के कुछ हिस्से को कब्जा लिया था, अथवा यह कहा जा सकता है, कि वापस ले लिया गया था। 

लेकिन उस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने लाल बहादुर शास्त्री को चेतावनी दी कि यदि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध विराम नहीं किया तो वह गेहूं का निर्यात भारत में बंद कर देंगे।

गौरतलब है कि उस  समय भारत गेहूं के लिए आत्मनिर्भर नहीं था, जिससे अमेरिका और दूसरे बड़े देशों से फसलों को आयात करना पड़ता था। लेकिन लाल बहादुर शास्त्री जी ने इसका भी उपाय निकाला और उन्होंने कुछ दिनों के अंदर ही लोगों को संबोधित किया की स्वाभिमान से बढ़कर कोई चीज नहीं होती। 

उनके एक पंक्ति ने लोगों का दिल जीत लिया। शास्त्री जी ने देशवासियों को गेहूं के समस्या के लिए दिन में एक वक्त का खाना ना खाने की अपील की तथा वे और उनका पूरा परिवार सिर्फ एक वक्त का खाना खाता था। 

इस बात से पता लगाया जा सकता है, कि लाल बहादुर शास्त्री के केवल एक आवाज पर भारत वासियों ने एक वक्त खाना छोड़ दिया था।

रहस्यपूर्ण मृत्यु Mysterious Death in Hindi

यदि किसी आम नागरिक की हत्या हो जाए तो लोग कुछ सालों बाद उस घटना को भुला देते हैं, लेकिन यदि  किसी बड़े देश के मुखिया की हत्या कर दी जाए तो जरा सोचिए कि उस देश के अस्मिता पर कितना गहरा प्रभाव हुआ होगा। 

लाल बहादुर शास्त्री जी जो एक महापुरुष थे उनकी रहस्यमई मृत्यु ने पूरे भारतवर्ष को हिला कर रख दिया था। आज भी उनकी रहस्यमई  निधन लोगों के दिलों से नहीं गई है और ना ही उनके आकस्मिक मृत्यु के राज से पर्दा हट सका है। 

भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे युद्ध विराम के लिए अमेरिका के दबाव में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अयूब खान के साथ सोवियत संघ में ताशकंद समझौता होने वाला था। 

आपके जानकारी के लिए बता दे कि लाल बहादुर शास्त्री ने ताशकंद समझौते की शर्तों को मंजूर कर लिया था, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान में जीती गई जमीन को वापस करने से इंकार कर दिया। लेकिन चारों तरफ से दबाव के कारण उन्होंने ताशकंद एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर दिए।

अयूब खान के साथ युद्धविराम पर हस्ताक्षर करने के कुछ समय पश्चात ही प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी बेहद संदिग्ध हालत में मृत पाए गए। 

11 जनवरी 1966 की रात देश के प्रधानमंत्री के निधन से भारत को एक बहुत बड़ा झटका लगा। कई लोगों का मानना है कि शास्त्री जी की आम रूप से मृत्यु नहीं हुई थी बल्कि सोची समझी रणनीति के तहत उनकी हत्या कर दी गई थी।

विचार Quotes

  1. लाल बहादुर शास्त्री जी का मानना है हमें अपने सबसे बड़े दुश्मन गरीबी और बेरोजगारी से लड़ना चाहिए और उस पर विजय पाना चहिये।  
  2. विज्ञानं और विज्ञानिक कार्यो में सफलता बड़े संशाधनो से नही मिलती बल्कि उनके समस्याओ को समझने और उससे आगे बढ़कर सोचने से और कठोर परिश्रम से मिलती है।
  3. इनका मानना था की अगर कोई भी काम एकजुट होकर करे तो कोई भी काम आसानी से कर सकते है।

आशा करते हैं लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी Biography of Lal Bahadur Shastri in Hindi आपको पसंद आई होगी।

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