थॉमस अल्वा एडिसन की जीवनी Biography of Thomas Alva Edison in Hindi

इस लेख में थॉमस अल्वा एडिसन की जीवनी Biography of Thomas Alva Edison in Hindi आप पढ़ सकते हैं। इसमें उनका परिचय, जन्म और प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, विवाह और निजी जीवन, प्रेरणादायक कहानी, शुरुवाती करिअर, महान आविष्कार व खोज, तथा निधन से जुड़ी पूरी जानकारी दी गई है।

Image Credit: Flickr (Mark Mathosian)

थॉमस अल्वा एडिसन का परिचय Introduction to Thomas Alva Edison in Hindi

आज के समय में हम अपने आसपास जितने भी सुख सुविधाओं का आनंद ले पा रहे हैं, यह सभी किसी न किसी के अविष्कार ही हैं।

इतिहास के कुछ सबसे प्रसिद्ध खोजकर्ताओं में से एक थॉमस अल्वा एडिसन जिनके नाम से आज कोई अछूता नहीं रहा है। दरअसल थॉमस अल्वा एडिसन सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि इसे एक ब्रांड भी कहा जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।

आज तक के इतिहास में ऐसे बहुत कम लोग हुए हैं, जिन्होंने अपनी सफलताओं से दुनिया को चौंका दिया है। सफल महापुरुषों की सूची में थॉमस अल्वा एडिसन का नाम भी सबसे पहले लिया जाता है।

ऐसा कहा जाता है, कि अपनी पूरी जिंदगी में थॉमस अल्वा एडिसन सिर्फ बल्ब के अविष्कार के लिए 1000 से भी ज्यादा बार असफल हुए थे, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं माना और दुनिया को अपने अविष्कार से प्रकाशित कर दिया।

बचपन में थॉमस अल्वा एडीसन दूसरे बच्चों की तरह बिल्कुल भी नहीं थे। कहते हैं कि वे जिस स्कूल में पढ़ते थे वहां के सभी टीचर्स से लेकर प्रिंसिपल तक हर कोई उनसे परेशान हो चुका था।

अपने बचपन में एडिसन बड़े ही अजीब थे, क्योंकि जहां दूसरे बच्चे खेल कूद करने और मित्र बनाने में रुचि रखते थे वही एडिसन हमेशा अकेले ही खुद से कुछ न कुछ बड़बड़ाते रहते थे। उनकी गतिविधियों से तंग आकर आखिरकार उन्हें स्कूल से भी निकाल दिया गया था।

थॉमस अल्वा एडिसन की जीवनी बेहद प्रेरणादायक है। कहते हैं कि हर सफल इंसान के पीछे किसी महिला का हाथ होता है। ऐसा ही कुछ एडिसन के साथ भी हुआ है जहां उनकी मां ने सबसे बेवकूफ कहे जाने वाले एक बच्चे को जीनियस बना दिया।

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थॉमस एडिसन का जन्म और प्रारंभिक जीवन Birth and Early life of Thomas Alva Edison in Hindi

11 फरवरी 1847 के दिन मिलान, ऑहियो में थॉमस अल्वा एडिसन का जन्म हुआ था। एडिसन के पिता का नाम सैमुअल एडिसन और मां का नाम नैंसी एडिसन था।

एडिसन अपने सभी भाई बहनों में जीवित बचने वाले चौथे बच्चे थे, इससे पहले किसी न किसी वजह से अन्य बच्चों की मौत हो गई थी।

पहले थॉमस एडिसन का पूरा परिवार कनाडा में रहता था, लेकिन मैकेंजी विद्रोह के वजह से उनके पिता सैमुअल एडिसन को अमेरिका में आकर बसना पड़ा, जिसके बाद अमेरिका में ही स्थाई रूप से निवास करने लगे।

थॉमस अल्वा एडिसन थोड़े बड़े हुए तो वे दूसरों बच्चों से अलग अकेले समय गुजारना पसंद करते थे। उनके माता-पिता को एक छोटे से बच्चे की ऐसी दशा देखकर बहुत चिंता होती थी।

दूसरों से अलग वे हमेशा गुमसुम रहते, खुद से ही बातें करते थे। एडिसन बचपन से ही बहुत क्यूरियस थे, जिनके अंदर कोई न कोई प्रश्न उमड़ता ही रहता था।

दूसरे लोग छोटे एडिसन को पागल समझते थे। लेकिन एडिसन की मां हमेशा अपने बच्चे के मन में आए हुए सभी प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास जरूर करती थी। क्योंकि वह जानती थी कि एडिसन के अंदर दूसरों बच्चों से अलग कोई खास क्वालिटी छुपी है।

अक्सर उन्हें जब खाली समय मिलता तो वह नदी किनारे जाकर एकांत में बैठ जाते थे और कंकड़ों को पानी में फेंका करते थे। शायद यह उनकी कोई जिज्ञासा ही रही होगी।

थॉमस अल्वा एडिसन की शिक्षा Education of Thomas Alva Edison in Hindi

थॉमस अल्वा एडिसन का विद्यार्थी जीवन बड़ा ही मजेदार रहा था। कहा जाता है कि यही वह समय था जब एडिसन में कई बदलाव आए थे।

आपको बता दें कि थॉमस अल्वा एडिसन उन वैज्ञानिकों में शामिल होते हैं जिनकी तथाकथित डिग्री वाली शिक्षा पूरी तो नहीं हो सकी लेकिन उनके विषय में मोटी मोटी पुस्तकें आज के पाठ्यक्रम में छापी जाती हैं।

थॉमस अल्वा एडिसन की स्कूली शिक्षा उनकी माता ने घर पर ही पूरी करवाई थी, क्योंकि उन्हें बचपन में स्कूल से निकाल दिया गया था।

एडिसन ने अपनी पूरी जिंदगी में कभी भी बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटीज का चेहरा भी नहीं देखा था। उन्होंने जो कुछ भी अविष्कार किए थे वे उनकी जिज्ञासा और मेहनत की बदौलत ही थे।

थॉमस एडिसन का विवाह और निजी जीवन Marriage and Personal Life of Thomas Alva Edison in Hindi

थॉमस अल्वा एडिसन जब महज 24 साल के थे, तो उन्होंने 16 साल की एक खूबसूरत लड़की मैरी स्टीलवेल से 25 दिसंबर 1871 में शादी कर लिया। थॉमस अल्वा एडिसन अपनी पत्नी से बेहद प्रेम करते थे।

शादी के कुछ समय बाद एडिसन और मैरी के कुल 3 बच्चे हुए। उस समय के दौरान पूरी दुनिया में एक खतरनाक महामारी कहे जाने वाले टीबी रोग का प्रकोप चारों ओर फैला था। टीबी के रोग के चलते एडिसन की पत्नी मैरी की 1884 में मृत्यु हो गई।

कुछ सालों बाद ही मीना मिलर नामक एक लड़की से एडिसन ने दूसरी शादी कर ली। मीना मिलर एडिसन से पूरे 20 साल छोटी थी।

क्योंकि उनके पिता एक बड़े बिजनेसमैन थे जिसके बाद एडिसन को भी अपने कुछ एक्सपेरिमेंट करने में आर्थिक रूप से सहायता मिली। आगे चलकर थॉमस अल्वा एडिसन के सभी बच्चे प्रख्यात अविष्कारक बने।

थॉमस अल्वा एडिसन की प्रेरणादायक कहानी The Inspirational Story of Thomas Alva Edison in Hindi

थॉमस अल्वा एडिसन जब स्कूल में थे तो वे अपने अध्यापकों से कई अटपटे प्रश्न करते थे, जैसे कि हवाएं हमें दिखाएं क्यों नहीं देती और यह कहां से शुरू होती है और कहां जाकर खत्म होती हैं वगैरह।

वे ऐसे ऐसे प्रश्न अपने अध्यापकों से करते थे, जिससे उनके अध्यापकों का सिर चकरा जाता था।

थॉमस अल्वा एडिसन ने पूरे स्कूल को परेशान करके रखा था, जिसके बाद उनके अध्यापक और प्रधानाचार्य भी उनके अजीबोगरीब रवैया के आदि हो गए थे। जिसके परिणाम स्वरूप एडिसन पर ध्यान देना बंद कर दिया गया।

एक बार की बात है, जब नैंसी एडिसन जोकि थॉमस अल्वा एडिसन की मां थी उन्हें विद्यालय में एडिसन की शिकायत करने के लिए बुलाया गया। अध्यापक के ऐसे व्यवहार से एडिसन की मां काफी दुखी थी और उन्होंने थॉमस एडिसन को भी अपने विद्यालय की बात मानने के लिए समझाया।

कुछ दिन बीतने के बाद अचानक से एडिसन विद्यालय की छुट्टी से पहले ही घर पहुंच गए, जिससे उनकी मां को चिंता हुई। इनके हाथ में एक चिट्ठी थी, क्योंकि एडिसन को पढ़ना नहीं आता था इसीलिए उन्होंने अपनी मां को चिट्ठी थमा दिया और कहा कि मुझे यह स्कूल की तरफ से दिया गया है।

थॉमस अल्वा एडिसन की मां ने जैसे ही उस चिट्ठी को पढ़ा तो उनकी आंख से आंसू बहने लगा। उसमे यह लिखा था, कि मिसेस नैंसी हम आपके बेटे थॉमस अल्वा एडिसन के खराब व्यवहार के चलते उसे पढ़ाने में असफल है।

उसकी अजीबोगरीब हरकतों से हम परेशान हैं और इसीलिए हमारा विद्यालय आपके बेटे को पढ़ाने में असमर्थ है, कृपया करके उसे घर पर ही शिक्षा दें। अपनी मां को यू उदास देख एडिसन से रहा नहीं गया और उन्होंने पूछा इस चिट्ठी में क्या लिखा है मां?

एडिसन की मां उनका मनोबल नहीं तोड़ना चाहती थी, इसीलिए उन्होंने कहा कि इस पत्र में लिखा है, कि आपका बेटा एक जीनियस है, जिसे पढ़ाने के लिए हमारे विद्यालय में जीनियस शिक्षकों की भी जरूरत है लेकिन हमारे अंदर इतनी काबिलियत नहीं है कि हम आपके बेटे को पढ़ा सकें, इसीलिए कृपा करके उन्हें घर पर ही शिक्षा दें। स्कूल से निकाल देने के बाद थॉमस एडिसन की मां ने ही उनकी आगे की पढ़ाई खुद से पूरी करवाई।

यही वह पल था जब थॉमस अल्वा एडिसन की जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ आया और वहीं से उनके जीनियस बनने का रास्ता भी खुल गया। देखते ही देखते हैं वह आसपास की चीजों के बारे में इतने जानकार हो गए कि उनके माता-पिता भी खुद को आश्चर्यचकित होने से रोक नहीं पाए।

थॉमस एडिसन की शुरुवाती करिअर Early career of Thomas Alva Edison in Hindi

थॉमस अल्वा एडीसन की माता पेशे से एक अध्यापिका थी, जिन्होंने अपने बेटे एडिसन की पढ़ाई घर पर ही करवाई।

जैसे ही थॉमस एडिसन थोड़े बड़े हुए उन्होंने अपने घर में छोटे-मोटे एक्सपेरीमेंट्स करना शुरू कर दिया, जिसके परिणाम स्वरूप कभी-कभी घर के सामानों को थोड़ी बहुत क्षति भी पहुंच जाती थी।

कभी कबार तो घर में छोटी मोटी आंख भी लग जाती थी, जिसके कारण एडिसन के माता-पिता उनकी हरकतों से बड़े परेशान रहते थे। कुछ समय बीतने के बाद थॉमस एडिसन ने बाहर जाकर न्यूज़पेपर बेचने का निर्णय लिया। अपने माता-पिता से इजाजत लेने के बाद उन्होंने अपना छोटा सा कारोबार शुरू किया।

महज 14 साल की उम्र में एडिसन ने अपने खुद के एक प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की, जिसे आगे बढ़ाने के लिए वे दिन रात मेहनत करते थे।

थॉमस अल्वा एडिसन ने अपने खुद के न्यूज़पेपर का नाम ग्रैंड ट्रंक हेराल्ड रखा। कई बार एडिसन ट्रेन की बोगियों में चढ़कर भी न्यूज़पेपर के साथ-साथ छोटे-मोटे खाने की चीजें भी बेचा करते थे, जिससे थोड़े बहुत पैसे आ जाते थे।

जैसे ही एडिसन के पास पैसे आने शुरू हुए तो उन्होंने अपना पसंदीदा चीज एक्सपेरिमेंट करना वापस शुरू कर दिया।

ट्रेन की एक बोगी में ही अपना सारा सामान सजा दिए और वही नई-नई चीजें सीखते थे, लेकिन जैसे ही स्टेशन मास्टर को यह बात पता लगी तो उसने एडिसन को धक्के मार कर बोगी से बाहर फेंक दीया।

बड़ी मशक्कत के बाद 16 साल की उम्र में उन्हें टेलीग्राफ कंपनी में एक परिचित के जरिए काम मिल गया। टेलीग्राफ की कंपनी में काम करते-करते एडिसन को काफी कुछ नया सीखने को मिला।

एडिसन ने सन 1869 मैं अपना पहला आविष्कार किया, जिसमें उन्होंने इलेक्ट्रिक वोट काउंटर बनाया था, लेकिन दुर्भाग्यवश वह अविष्कार सफल नहीं हुआ।

अपने पहले अविष्कार के नाकामयाबी के बाद एडिसन कहां रुकने वाले थे। आगे चलकर वे एकाएक अपने अविष्कारों की सफलतापूर्वक खोज करते गए।

थॉमस अल्वा एडिसन के महान आविष्कार व खोज Great Inventions and Discoveries of Thomas Alva Edison in Hindi

सन 1870 में थॉमस अल्वा एडिसन ने अपना पहला सफल अविष्कार किया, जिसमें उन्होंने Quadruplex नामक एक मशीन बनाई, जिसके बाद टेलीग्राफ की दुनिया में तहलका मच गया। थॉमस एडिसन के इस अविष्कार के पश्चात पूरी दुनिया में उनके नाम की चर्चा होने लगी।

वैसे तो सर एडिसन ने अपनी जिंदगी में सैंकड़ों आविष्कार किए थे, लेकिन उनके सबसे बड़े और महान अविष्कार में बल्ब की खोज मानी जाती है। हालांकि उनके इस अविष्कार के चलते कई विवाद भी हुए हैं।

ऐसा माना जाता है, कि एडिसन के अविष्कार के पहले Woodward और Evan’s  ने मिलकर बल्ब की खोज की थी। लेकिन वे इसे पेटेंट नहीं करवा पाए थे।

साथ ही उनके द्वारा बनाया गया बल्ब कुछ घंटों ही चलता था, उसकी रोशनी भी बहुत कम थी। दरअसल अविष्कार को एक नया रूप देने की आवश्यकता थी, जिसमें वे असमर्थ  है।

थॉमस अल्वा एडिसन ने अक्टूबर 1879 मैं इसी सिद्धांत पर दिन रात एक कर के मेहनत किया और वे एक ऐसा बल्ब बनाने में सफल हो गए जो एक या दो नहीं बल्कि 10 घंटों से ज्यादा जलने की क्षमता रखता था। और उसके साथ ही एडिसन के द्वारा बनाया गया यह बल्ब बहुत ही प्रकाशमय था।

एडिसन ने अपने इस महान अविष्कार के लिए एक हजार बार से भी ज्यादा असफलताओं का सामना किया। लेकिन उन्होंने बिना हार माने प्रयास करना जारी रखा और आखिरकार उन्हें सफलता मिली गई।

थॉमस अल्वा एडिसन का निधन Thomas Alva Edison’s Death in Hindi

अपने अविष्कारों से थॉमस अल्वा एडिसन ने दुनिया को ऐसा तोहफा दिया है, जिसे हम कभी नहीं भूल पाएंगे। आखिर वह दुखद दिन आया जब 8 अक्टूबर 1931 के दिन थॉमस एडिसन ने अपनी आखिरी सांसें ली।

 न्यू जर्सी के वेस्ट ऑरेंज लेवलेन पार्क में एडिसन का निधन हुआ। जिस दिन थॉमस एडिसन की मृत्यु हुई थी, उस दिन पूरे अमेरिका में  व्हाइट हाउस के सामने अमेरिका का झंडा नीचे कर दिया गया था।

सर एडिसन के सम्मान में पूरे 1 मिनट के लिए अमेरिका में सभी जगह लाइट बंद कर दी गई थी और सभी शांत होकर सर थॉमस अल्वा एडिसन को याद कर रहे थे।

यह महान आविष्कारक भले ही आज हमारे बीच में उपस्थित ना हो लेकिन किसी समय बेवकूफ कहे जाने वाले बच्चे से लेकर एक महान जीनीयस तक का सफर तय करने वाले सर थॉमस अल्वा एडिसन हमेशा ही हमारी यादों में जिंदा रहेंगे।

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