सम्राट अशोक पर निबंध Essay on Samrat Ashok in Hindi

सम्राट अशोक पर निबंध Essay on Samrat Ashok in Hindi

भारतीय मौर्य राजवंश के बहुत ही महान सम्राट, “सम्राट अशोक” थे जिनका पूरा नाम देवाना प्रिय अशोक मौर्य था। सम्राट अशोक सभी देवताओं के बहुत प्रिय थे। इनके पिता का नाम बिंदुसार था तथा माता का नाम शुभद्रांगी था। सम्राट अशोक चंद्रगुप्त मौर्य के नाती थे।

सम्राट अशोक पर निबंध Essay on Samrat Ashok in Hindi

सम्राट अशोक की कई सारी पत्नियां थी जिनके नाम है- देवी, कारुवकी, अंसधिमित्रा, पद्मावती और तिष्यरक्षिता था। सम्राट अशोक का नाम विश्व के महानतम व्यक्तियों में लिया जाता है इनके साम्राज्य का विस्तार भी बहुत दूर दूर तक फैला हुआ था।

सम्राट अशोक बचपन से ही शिकार करने के बहुत ही शौकीन थे तथा शिकार करते करते वे इस कार्य में बहुत ही निपुण और निर्भीक भी हो गए थे। बड़े होने के बाद सम्राट अशोक अपने पिता के साथ साम्राज्य के कामों में भी हाथ बटाने लगे थे। वह जो भी कार्य करते थे अपनी प्रजा की भलाई को ध्यान में रखकर करते थे जिसकी वजह से प्रजा सम्राट अशोक को बहुत पसंद भी करती थी।

सम्राट अशोक बचपन से ही सैन्य गतिविधियों में बहुत ही प्रवीण थे। 2000 वर्ष के बाद भी सम्राट अशोक के प्रभाव को भारतीय उपमहाद्वीप में देखा जा सकता है। जिनके काल में बनाया गया प्रतीक चिन्ह जिसे हम अशोक चिन्ह के नाम से जानते हैं वह आज भी भारत का राष्ट्रीय चिन्ह माना जाता है।

सम्राट अशोक दूसरे राज्यों पर विजय प्राप्त करने के बाद वहां पर अपना साम्राज्य स्थापित करते थे तथा वहां पर अशोक स्तंभ का निर्माण अवश्य कराते थे। जिनका मध्यकाल में मुस्लिम समाज ने अंत करना शुरू कर दिया और उनके हजारों स्तंभ को ध्वस्त भी कर दिया ।

अशोक के समय में मौर्य राजवंश पूर्व में बंगाल तक, पश्चिम में अफगानिस्तान तक तथा उत्तर दिशा में हिंदू कुश की श्रेणियो से लेकर दक्षिण दिशा में गोदावरी नदी तक फैला हुआ था जो उस समय का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य था।

महँ अशोक संसार के सभी महान एवं शक्तिशाली राजाओं में हमेशा सर्वोपरि रहते थे इसलिए इनको चक्रवर्ती सम्राट अशोक के नाम से भी जाना जाता है। जिसका अर्थ है सम्राटों के सम्राट और यह स्थान भारत में सिर्फ सम्राट अशोक को ही प्राप्त था।

सम्राट अशोक को कुशल प्रशासन एवं बौद्ध धर्म के प्रचारक के रूप में भी जाना जाता था। सम्राट अशोक भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से प्रभावित होकर बौद्ध अनुयाई हो गए थे और उनके याद में कई स्तंभ का निर्माण भी करवाया था जो आज भी नेपाल में, सारनाथ, बौद्ध मंदिर, बोधगया, माया देवी मंदिर के पास, कुशीनगर, श्रीलंका, थाईलैंड तथा चीन में भी अशोक स्तंभ के रूप में पाए जाते हैं।

सम्राट अशोक अपने जीवन काल में 23 विश्वविद्यालय की स्थापना करवाई थी जिसमें तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला एवं कंधार भी शामिल है। इनके द्वारा बनाए गए विश्वविद्यालय में विदेश से भी लोग शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत आते थे। सम्राट अशोक सबसे पहले बौद्ध धर्म के सिद्धांत को लागू किया था जिनका आज भी विश्वविद्यालयों में पालन किया जाता है।

सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए धर्म ग्रंथों का भी सहारा लिया था एवं पत्थर के खंभे, गुफाओं तथा दीवारों पर भी संदेश अंकित करवाते थे। सम्राट अशोक ने 84 स्तूपों का निर्माण करवाया था। जिसके लिए उन्होंने 3 वर्ष का समय लिया था। सारनाथ स्तूप के अवशेष आज भी पाए जाते हैं तथा मध्य प्रदेश का सांची स्तूप भी बहुत प्रसिद्ध है।

सम्राट अशोक ने 261 ईसा पूर्व में कलिंग पर आक्रमण किया था जिसमें बहुत ही भीषण युद्ध हुआ था तथा इस युद्ध में सम्राट अशोक विजयी भी हुए थे। विजय प्राप्त करने के बाद भी वह खुश नहीं थे क्योंकि इस युद्ध में बहुत सी जाने गई थीं जिसे देखकर सम्राट अशोक का मन बहुत ही द्रवित हो गया था और उसी के बाद वह शांति के पथ पर चला गया ।

कलिंग के युद्ध में हुई छति एवं लोगों की मृत्यु के बाद सम्राट अशोक का मन युद्ध से हट गया था। वह उसको लेकर बहुत ही परेशान रहने लगे थे तथा अंत में इससे बाहर निकलकर बौद्ध धर्म को स्वीकार किया और बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद उन्होंने उसे अपने जीवन में उतारने का भी प्रयास किया। सम्राट अशोक ने पशु पक्षियों का शिकार करना भी बंद कर दिया था। वह सन्यासियों को दान देना भी शुरू कर दिए थे तथा लोगों के कल्याण के लिए चिकित्सालयों का निर्माण करवाया था।

सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए कई साधन अपनाएं जो निम्न वत है-:

  1. लोकाचरिता के कार्य
  2. धर्म लिपियों को खुदवाना
  3. विदेश में धर्म के लिए प्रचारक को भेजना
  4. धर्म यात्रा को आरंभ करना
  5. धर्म महापात्रों की नियुक्ति
  6. दिव्य रूपों का प्रदर्शन
  7. धर्म उपदेश की व्यवस्था

सम्राट अशोक ने लगभग 40 वर्षों तक शासन किया तथा 286 ईशा पूर्व में इनकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद इनके पुत्र महेंद्र एवं पुत्री संघमित्रा बौद्ध धर्म के प्रचार में अपना योगदान दिया था। सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद लगभग 50 वर्षों तक मौर्य राजवंश चला था।

सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद मौर्यवंश पश्चिमी और पूर्वी, दो अलग-अलग प्रांतों में बट गया था। पूर्वी भाग पर संप्रति शासन करने लगा था और पश्चिमी भाग पर कुणाल शासन करता था। मौर्य राजवंश का अंतिम शासक दशरथ था।

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