God helps those who help themselves – Best 2 Stories in Hindi

भगवान उन्ही की मदद करते हैं जो खुद की मदद करते हैं God helps those who help themselves – Best 2 Stories in Hindi

भगवान उन्ही की मदद करते हैं जो खुद की मदद करते हैं God helps those who help themselves – Best 2 Stories in Hindi

इस आर्टिकल में हमने दो ज्ञानवर्धक कहानियाँ प्रस्तुत किया है जो इस बात को सच साबित करते है की खुद की मदद ना करने वाले व्यक्तियों को कभी भी खुदा तो दूर की बात है सामने खड़े व्यक्ति से भी मदद नहीं मिलती है। जी हाँ दोस्तों यह सच है, इन नीचे दिए हुए कहानियों को सुनने के बाद आप भी इस बात को मान जायेंगे।

एक किसान की कहानी A Farmer Story in Hindi

ऐसा किसी ने सच ही कहा है, एक बार की बात है एक गांव में एक किसान रहता था उस समय वहाँ पर भारी मात्रा में बारिश हो रही थी और वहां की सड़कें एकदम खराब हो चुकी थी। चारों तरफ बहुत सारे गड्ढे थे जिसमें पानी भरा हुआ था। मिट्टी की सड़कें होने के कारण उस पर  चलना मुश्किल था। किसान को हर रोज धन कमाने के लिए सुबह-सुबह बाजार जाना पड़ता था।

किसान एक दिन सुबह-सुबह बैलगाड़ी लेकर बाजार की ओर निकला और वह उस मिट्टी के रास्ते से जा ही रहा था कि अचानक उसका बैलगाड़ी एक गड्ढे में फँस गया, बैल ने पूरा जोर लगा दिया उस गड्ढे से पहिया बाहर निकालने के लिए लेकिन सफलता नही मिली। किसान परेशान हो गया और चारों तरफ इधर उधर देखने लगा कि कोई मदद करने वाला मिले लेकिन भारी बरसात केे कारण वहां पर आसपास कोई नहीं था जो उसकी मदद कर सके।

वह एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया और अपने भाग्य को कोसने लगा और कहने लगा हे भगवान – तूने मेरे साथ क्या किया, मेरा ये कैसा भाग्य बनाया है कि मेरा कोई काम नहीं होता है यहाँ मदद करने के लिए कोई नहीं मिल रहा है इतना खराब भाग्य मेरा क्यों बनाया। किसान अपने नसीब को कोसे ही जा रहा था, तभी वहां से एक सन्यासी गुजर रहे थे। सन्यासी ने परेशान किसान को देखकर उसकी परेशानी का कारण पूछा तो किसान ने बताया कि मैं सुबह से यहां बैठा हुआ हूं मेरी गाड़ी उस गड्ढे में फस गई है यहां आस-पास कोई मदद के लिए नहीं है भगवान ने मेरे साथ अन्याय किया है।

सन्यासी किसान की सारी बातें सुनकर बोले कि तुम सुबह से अपने भाग्य को कोसते जा रहे हो और भगवान को दोष दे रहे हो क्या तुमने खुद उस बैलगाड़ी को निकालने का प्रयास किया? तो किसान ने कहा – नहीं।

सन्यासी ने कहा तो फिर तुम किस हक से भगवान को दोष दे रहे हो ,भगवान सिर्फ उन्हीं की मदद करते हैं जो स्वयं की मदद करते हैं। किसान को अब यह बात समझ में आ चुकी थी और उसने बैलगाड़ी को निकालने का प्रयत्न किया और वह अपनी बैलगाड़ी को निकालने में सफल हुआ। सन्यासी को धन्यवाद देते हुए वह अपने रास्ते बाजार की ओर चल दिया।

उसी तरह संसार में ज्यादातर मनुष्य उस किसान की तरह सोचते हैं जो स्वयं कुछ नहीं करना चाहते हैं  दूसरों पर निर्भर होते हैं और उनका कार्य ना होने पर वह अपने भाग्य को खराब बताते है या फिर किसी दूसरे को कोसते हैं वे अपने भाग्य के भरोसे होते है और सोचते है कि भगवान हमारी मदद करेगा लेकिन भगवान उसी की मदद करते है जो स्वयं की मदद करते है।

और भगवान कभी स्वयं मदद करने के लिए नहीं आते हैं वह किसी न किसी को भेजते हैं जो आपकी मदद कर सकता है अगर आप स्वयं खुद की मदद करेंगे तो भगवान भी आपकी मदद करेगे और आप अगर भाग्य के भरोसे बैठे रहेंगे या फिर आप भगवान के भरोसे बैठे रहेंगे कि भगवान आएगा और मेरा काम करेगा तो आपका काम कभी पूर्ण नहीं होगा। आप हमेशा अपने भाग्य को खराब बताएंगे और भगवान को कोसते रहेंगे।

आप स्वयं अपना कार्य कड़ी मेहनत के साथ करेंगे तो आपका कार्य जरूर संपूर्ण होगा और आपका भाग्य भी अच्छा रहेगा। अगर आप कड़ी मेहनत और लगन के साथ अपना कार्य करेंगे आपका भाग्य और किस्मत उतनी ही अच्छी होती चली जाएगी। जितना आपका कार्य होगा भगवान भी आपकी मदद करेगा।

संसार में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपना कार्य न करके भगवान की पूजा करते रहते हैं और वह सोचते हैं कि भगवान मेरी मदद करेगा, भगवान आकर हमारा कार्य करेंगे इसी के लिए वह दिन भर हमेशा उनकी पूजा किया करते हैं।

एक पंडित की कहानी Story of a Pundit in Hindi

एक बार की बात है एक पंडित जी एक गांव में एक मंदिर के पुजारी थे। उस गांव में बाढ़ आने लगी, लोग अपना घर बार छोड़कर भागने लगे। भागते समय एक बैलगाड़ी वाले ने पंडित जी से कहा किआइए बैठ जाइए मैं आपको गांव से बाहर छोड़ दूँगा, नहीं तो आप डूब जाएंगे। तो पंडित जी ने कहा देख नहीं रहे हो मैं भगवान की तपस्या कर रहा हूं मुझे भगवान आकर बचा लेंगे।

धीरे-धीरे गांव में पानी भरने लगा पंडित जी के घुटने तक पानी आ गया, तभी वहाँ से एक बचाव नाव वाला बचाने के लिए आया और उसने कहा। पंडित जी आप आकर नाव में बैठ जाइए नहीं तो आप डूब जाएंगे, पानी काफी तेजी से बढ़ रहा है, तो पंडित जी बोले तुम जाओ – मुझे भगवान आकर बचा लेंगे ।

पानी धीरे-धीरे बढ़ते हुए मंदिर की सीढ़ियों से होता हुआ ऊपर आ रहा था और पंडित जी छत पर चढ़ गए उसके बाद एक बचाव हेलीकॉप्टर आया और कहा पंडित जी रस्सी पकड़ लीजिए नहीं तो आप डूब जाएंगे पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका है तभी पंडित जी बोले मैं नहीं आऊंगा मुझे भगवान आकर बचा लेंगे, पंडित जी अपनी बात पर अड़े हुए थे ।

धीरे-धीरे पानी काफी ऊपर तक आ गया और पंडित जी डूब कर मर गए, जब पंडित जी ऊपर भगवान के पास पहुंचे उन्होंने भगवान से पूछा मैं आपकी हमेशा पूजा करता था, रात-दिन पूजा करता था फिर आप मुझे बचाने क्यों नहीं आए तभी भगवान बोले मैं आपको बचाने तीन-तीन बार आया था लेकिन आपने न जाने क्यों आने से मना कर दिया।

धन्यवाद!!

इसीलिए कहते है कि कभी कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहिए, अवसर बार-बार नही आते, भगवान हमारी किसी न किसी रूप में आकर मदद करते रहते हैं हमें अपना कार्य अपनी तरफ से परिश्रम से और मन से करना चाहिए, भगवान उसी की मदद करते है जो खुद की मदद करते है।

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