बड़ी सोच का बड़ा जादू Magic of Thinking Big in Hindi

बड़ी सोच का बड़ा जादू Magic of Thinking Big in Hindi

आप सभी के जीवन में कई ऐसी घटनाएं आई होंगी जहां पर आपको एक बहुत ही कठिन फैसला लेना पड़ा होगा। चाहे वो स्कूल या कॉलेज का चुनाव हो या फिर आगे क्या पढ़ना है इस बात का निर्णय। चाहे वह किस तरह का व्यापार किया जाए यह फैसला हो या फिर यह कि व्यापार में निवेश कितना जाए। यह सभी फैसले मानवीय जीवन में कहीं न कहीं कभी न कभी सबको करने पड़ते हैं।

बड़ी सोच का बड़ा जादू Magic of Thinking Big in Hindi

आपका फैसला आपकी सफलता

हमारे फैसले ही यह तय करते हैं कि हमारा जीवन किस प्रकार का होगा या फिर हम अपने जीवन को कितना सार्थक कर पाएंगे। आप यह फैसले कुछ ही देर में ले लेते हैं लेकिन इन फैसलों के पीछे एक बड़ा विमर्श छुपा होता है।

मैं यदि आपसे यह कहूँ कि सामने यह बड़ी नदी पर करने पर आपको प्रसिद्धि और इनाम दिया जाएगा, लेकिन इसमें डूबने पर आपकी जान भी जा सकती है। अब आपके पास दो रास्ते हैं या तो आप यह न करें, या फिर इसे करें और अपनी जान का रिस्क लें।

यह फैसला आपका निजी होगा लेकिन इस फैसले से आपके आसपास के लोगों पर भी प्रभाव पड़ेगा। अच्छा मान लेते हैं कि अब आप सामान्य मनुष्य की तरह यह कहते हैं कि मैं यह नदी नहीं पार कर सकता।

आपका यह कहना यह दर्शाता है कि आपके मन में गहराई को लेकर कितना डर है और यदि आप अपनी जान को दांव पर लगाकर नदी पार करने का फैसला करते हैं तो यह दर्शायेगा कि आप निर्भीक और साहसी व्यक्ति हैं।

दोनों ही परिस्थितियों में आपका जीवन सामान्य ही होगा। यदि आप मना करते हैं तब भी आप सामान्य जीवनयापन करेंगे। लेकिन यदि आप हाँ कहते हैं तब आपकी जान भी जा सकती है और आप प्रसिद्ध भी हो सकते हैं। यह फैसला केवल कुछ ही क्षणों का है लेकिन इस फैसले की बुनियाद है आपकी मानसिकता। आपकी वह मानसिकता जिसे आपने वर्षों से सींचा है।

फैसले लेने की क्षमता और यह निर्णय करना की क्या आवश्यक है और क्या नहीं यह सोच पाने की क्षमता पर निर्भर करता है। आप खतरे उठाने में कितने माहिर हैं यह भी तय करता है कि आप जीवन में क्या क्या हासिल करेंगे?

बड़ा सोचना क्या होता है? विशाल सोचना। मान लीजिए यदि आप किसी बेकरी में कार्य करते हैं। आप एक नियत 8 घंटे तक काम करते हैं और आपको एक पर्याप्त राशि दे दी जाती है। आप उस बेकरी की रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्यरत हैं और, यानी उस बेकरी के सारे काम आप ही कर रहे हैं।

आप खुद की अपनी बेकरी खोल सकते हैं, यदि चाहे तो। लेकिन वह आपकी नौकरी पर असर डालेगा, आपकी नौकरी जा सकती है और आपके कारण बेकरी बाजार में जो कॉम्पिटिशन बढ़ेगा उसके कारण आपको अपने बॉस की नफरत का सामना भी करना पड़ सकता है। यहां अब आपके सामने दो रास्ते हैं, या कि नौकरी छोड़कर नई बेकरी शुरू की जाए, या फिर नौकरी करते रहें

दोनों फैसलों की अपनी एक. खासियत है। यदि आप नौकरी छोड़कर बेकरी की शुरुआत करते हैं तब इस बात की संभावना अधिक है कि आप फेल हो सकते हैं, इस बात की संभावना भी है कि आप की बेकरी चल निकले।

लेकिन यहां खतरा बहुत है। आपकी नौकरी जा चुकी है। यह फैसला आपको सफल बना सकता है लेकिन निराशा भी हाथ लग सकती है। इस फैसले का फायदा यह है कि आप अपनी खुद की बेकरी के मालिक होंगे, आपके पास पहले से ज्यादा समृद्धि होगी।

लेकिन वहीं दूसरा फैसला आपको बिना किसी खतरे के एक सुरक्षित जीवन प्रदान करता है। आपको कुछ नहीं करना, एक सामान्य जीवनयापन करना है। बेकरी में फायदा या नुकसान, आपका बॉस देख लेगा। आपको आपनी तनख्वाह मिल जाएगी नियत समय पर। इन दोनों फैसलों के बीच अन्तर है एक बेहतर ज़िन्दगी का। ज़िन्दगी काटनी है या जीनी है।

कुछ महान लोगों की सफलता की कहानी

हमने आगे के लेख में उन लोगों के बारे में बताया गया जिन्होने अपनी ज़िन्दगी में बड़े फैसले किए और सफलता प्राप्त की।कौन हैं वो लोग?

महेंद्र सिंह धोनी

यह नाम आप सभी ने सुना होगा। धोनी पहले रेल्वे में टीसी का काम करते थे। उनका भारतीय टीम तक पहुंचना एक कहानी की तरह है। धोनी के पास एक सामान्य सा जीवन बिताने का मौका था। उनके पास एक सरकारी नौकरी थी। एक अच्छी तनख्वाह और पदोन्नति के बहुत सारे मौके। लेकिन यदि धोनी सामान्य जीवन जीने का फैसला करते तो शायद आज वहां नहीं होते, जहां वे हैंं।

उन्होने अपने परिवार के खिलाफ जाकर नौकरी छोड़ी और पूरा ध्यान क्रिकेट पर लगाना शुरू कर दिया। यह एक बड़ा फैसला था। आप समझ सकते हैं कि सरकारी नौकरी छोड़ना कितना मुश्किल है। लेकिन धोनी ने यह फैसला लिया और वे आज पद्म श्री महेंद्र सिंह धोनी बन चुके हैं। तीन तीन आईसीसी ट्रॉफी उठा चुके कप्तान धोनी का जीवन एक बड़े फैसले के कारण बदला।

कवि कुमार विश्वास

कुमार विश्वास आज के वक़्त में कविता जगत में ध्रुव तारे हैं। लेकिन कुमार अपनी सफलता के चरम पर आसानी से नहीं पहुंचे। कुमार विश्वास एक वक़्त में इंजीनियरींग के स्टूडेंट थे, लेकिन उन्हे साहित्य से प्रेम था। उन्होने इंजीनियरिंग छोड़ दी, साहित्य पढ़ना शुरू कर दिया।

परिवार वालों ने विरोध किया लेकिन वो आगे बढ़े और भारत के सबसे बड़े कवि के रूप में खुद को स्थापित कर चुके हैं। यह सब हुआ एक बड़े फैसले के कारण। कुमार इंजीनियरिंग नहीं छोड़ते तो आज यकीनन किसी एमएनसी के केबिन में बैठे होते लेकिन उनका फैसला उन्हे इस सूची में लेकर आया है।

केएफसी के मालिक

आप सब केएफसी को जानते ही होंगे। यह एक बहुराष्ट्रीय कंपनी है जो खाद्य बाजार में कार्य करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके मालिक ने केएफसी किस वर्ष मे शुरू की थी। जब केएफसी शुरू हुई तब उनकी उम्र कुल 63 वर्ष थी। यह दर्शाता है कि साहस किसी भी उम्र में किया जा सकता है।

बड़ा सोचें और बड़े फैसले लें

आप यह जान चुके हैं कि बड़ा और सकारात्मक सोचने का अर्थ क्या होता है? आप यह भी जान चुके हैं कि बड़ा सोचने वाले लोग किस प्रकार सफल होते हैं? लेकिन क्या यदि असफलता हाथ लग जाए। चलिए बेकरी वाले उदाहरण पर फिर से चलते हैं।

मान लेते हैं आपने संसाधन जुटाए और बेकरी खोल ली। बाजार का दबाव और बॉस की नफरत के बावजूद। अब आप सफल होने की बजाय असफल हो गए। बेकरी फ्लॉप हो गई, सब चौपट हो गया। अब क्या? लेकिन आपकी कार्यक्षमता और आपकी कार्य कुशलता अब भी आपके हाथ में है।

आप अब भी किसी भी बेकरी में एक सामान्य से वर्कर की तरह जीवनयापन कर सकते हैं। लेकिन क्या होता यदि आप बेकरी खोलने का फैसला नहीं लेते? आप तब एक सामान्य से वर्कर की तरह कार्यरत होते। यानी कि एक सामान्य जीवन कहीं से भी शुरू किया जा सकता है।

यदि उपरोक्त लिखित लोगों ने रिस्क लिया नहीं होता तो क्या हम उनकी बात करते। बात उन्ही की होती है जिनमें कुछ बात होती है। इस लेख को एक प्रसिद्ध टेलीविजन ऐड की टैगलाइन के साथ खत्म करते हैं। यह पूरे लेख का सार है। “नाम बनते हैं, रिस्क उठाने से”

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.