सकारात्मक सोच की शक्ति Power of Positive Thinking in Hindi

सकारात्मक सोच की शक्ति Power of Positive Thinking in Hindi

कहा जाता है कि किसी भी कार्य को करने के लिए धैर्य की अपार आवश्यकता होती है। अगर धैर्य और सकारात्मकता न रखा जाए तो कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता।

सकारात्मक सोच की शक्ति Power of Positive Thinking in Hindi

लेकिन ऐसा क्यूँ? ऐसा क्या है सकारात्मकता में? क्यूं यह कहा जाता है कि सकारात्मक सोचिये?

सकारात्मक सोच आज के विश्व में एक ऐसी चीज बन चुकी है जिसकी कमी बहुत ज्यादा है। हर व्यक्ति नकारात्मक सोचता है और हर व्यक्ति नकारात्मक सोचने के कारण असफल भी हो रहा है।

यह कभी कभी भी हास्यास्पद भी नज़र आता है कि आखिर जब सभी जानते हैं कि साकारत्मक सोचना जरूरी है और वह दिमाग से ही जुड़ा है तो साकारत्मक कोई क्यूं नहीं सोचता?

साकारत्मक सोच क्या होती है? What is Positive thinking?

दुनिया का तंत्र चलने की एक प्रक्रिया होती है। कोई भी काम एक प्रक्रिया के तहत किया जाता है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हमें वह प्रक्रिया बहुत बड़ी नज़र आती है। हमें. ऐसा लगता है कि यह हमसे नहीं होगा या हम इस प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाएंगे, इसी सोच को नकारात्मक सोच कहा जाता है।

सकारात्मकता का सीधा सा अर्थ होता है कि सही सोचना या अच्छा सोचना, लेकिन वहीं नकारात्मक सोचने का अर्थ होता है गलत सोचना, कमतर सोचना और हर चीज से खुद को खराब समझना।

सकारात्मक सोचने का अर्थ होता है किसी भी कार्य में खुद को केवल कुशल भर ही नहीं मानना अपितु यदि आप उस कार्य को करने में कुशल नहीं है तो उस बात को स्वीकार करना। इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि विचार किजिए कि कोई नदी पार करना चाहता है।

वह एक अभ्यासरत तैराक तो नहीं है लेकिन वह तैरना जानता है, अब नकारात्मक सोच उसे ऐसा करने से रोकेगी और वह वहीं रह जाएगा, लेकिन सकारात्मक सोच उसे नदी में उतरने के लिए प्रेरित करेगी और वह नदी को पार कर जाएगा।

दूसरे उदाहरण के तौर पर यह देखा जा सकता है कि जरा सोचिए किसी आदमी का वजन बहुत ज्यादा बढ़ चुका है। इसका वजन इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि उसके दैनिक जीवन में अब उसे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। और इतना ज्यादा वजन कम करना भी बिना कठिन संघर्ष के मुमकिन नहीं।

वजन कम करने के लिए एक लंबी प्रक्रिया का क्रियान्वन करना पड़ेगा। इस दौरान कई स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों का त्याग करना पड़ेगा और नियमित तौर पर कसरत करनी होगी। यह सब बहुत कठिन है लेकिन नामुमकिन नहीं।

अब इस कार्य को शुरू कर सकते हैं, लेकिन दिक्कत शुरुआत के बाद आती है। यह कार्य के मध्य होता है। वहां यदि आप साकारत्मक हैं तो कार्य को खत्म कर पाएंगे अन्यथा नकारात्मकता दिखाते हुए वह कार्य वहीं छूट जाएगा।

सकारात्मक सोचने का अर्थ होता है अपने अस्तित्व को पहचानना। यह जानना कि वे कौन से कार्य हैं जो आप कर सकते हैं, वे कौन से कार्य हैं जिनमें कुशलता हासिल की जा सकती है या कि वे कौन से कार्य जो आपके कार्य क्षेत्र से बाहर है? साकारत्मक सोच का अर्थ होता है अपनी अच्छाइयों बुराइयों को जानते हुए भी खुद के प्रति आदर भाव रखना एवं खुद को कभी न नकारना।

साकारत्मक सोच न हो तो? What If you do not Think positive?

साकारत्मक सोच का अर्थ उपरोक्त पंक्तियों में बताया गया है लेकिन क्या हो अगर सकारात्मक सोच आपके जीवन में मौजूद न हो। सकारात्मक सोच न होने के दुष्परिणामों को नीचे दिया गया है :-

  • साकारत्मक सोच न होने के कारण सबसे पहला और सबसे बड़ा नुकसान यह है कि आप अपने अंदर की अच्छाइयों और प्रतिभाओं को नहीं जान पाते। यह खुद के साथ एक बुरा रवैया होता है। आप यह कभी नहीं जान पाते कि आपके अंदर कितनी सारी प्रतिभाएं छुपी हुईं हैं या कि आप किस हद तक किसी कार्य को करने में कुशल हैं। आप पूरी ज़िन्दगी यही सोचने और समझने में गुजार देते हैं कि मैं कितना हीन और कमतर हूँ।
  • सकारात्मक सोच न होने के कारण आप अपनों से भी कटने लगते हैं, दूर होने लगते हैं। नकारात्मकता का प्रभाव आपके कार्यों में और आपके व्यवहार में साफ नजर आता है। यह लोगों को आपके प्रति उदासीन करता है। लोग आपसे दूरियां बढ़ाने लगते हैं।
  • सकारात्मक सोच न होने के कारण आप अपनों से दूर हो जाते हैं, खुद की प्रतिभाओं को नहीं जान पाते लेकिन इस कारण आपका व्यक्तित्व भी खराब हो जाता है। उदाहरण के तौर पर जरा यह सोचिये कि आप कुछ लोगों को संबोधित करना चाहते हैं। एक सकारात्मक व्यक्ति आत्मविश्वास से लबरेज होता है वहीं एक नकारात्मक व्यक्ति का आत्मविश्वास खत्म हो जाता है। वह हर वक़्त नर्वस रहता है।
  • सकारात्मक सोच से व्यक्तित्व पर असर होता है उसके साथ साथ वह आपके करियर पर भी पूरी तरह से प्रभाव डालेगा। किसी भी व्यक्ति का करियर इसके कार्यक्षेत्र में बनता है, यदि आप अपनी कुशलता को नहीं पहचान पाएंगे तो यह करियर को शुरू ही नहीं होने देगा और यदि हुआ भी तो आप उसे आत्मविश्वास की घनघोर अभाव के कारण जारी नहीं रख पाएंगे।

कैसे पाएं सकारात्मक सोच? How to get Positve thinking?

नकारात्मक सोच, सकारात्मक सोच और परिणामों के विषय में उपरोक्त अंश में बताया है लेकिन ऐसे कौन से तरीके हैं जिनसे सकारात्मक सोच को पाया जा सकता है। ऐसे कई तरीके हैं। सकारात्मक सोच को पाने के लिए ज्यादा मेहनत करने की या अत्यधिक संघर्ष की कोई आवश्यकता नहीं है। यह केवल कुछ ही कार्य करने से प्राप्त हो जाएगी। वे कदम जो सकारात्मक सोच पाने के लिए उठाए जाने चाहिए, उन्हे नीचे दर्शाया गया है :-

  • सबसे पहले सकारात्मक सोच को पाने के लिए नकारात्मक सोच को मन से निकाल दें। जहां पर नकारात्मक सोच मौजूद रहेगी, वहां सकारात्मक सोच नहीं लाई जा सकती। आपको ऐसा करने के लिए अपने विचारों पर ध्यान देना होगा। आप क्या सोचते हैं और वह किस हद तक नकारात्मक होता है, यह सब इस श्रेणी में आता है।
  • सकारात्मक सोच लाने के लिए किताबें एक अच्छा जरिया साबित हो सकती हैं। गौरतलब है कि किताबों और लेखों में ऐसी शक्ति है जिनसे सकारात्मक सोचने की प्रेरणा मिलती है। सही किताब का चुनाव करें और उसे पूरी तरह पढ़ें। यह काफी ज्यादा मददगार साबित होगा।
  • सकारात्मक सोच हासिल करने के लिए आप को अपने अंदर भी ध्यान देना होगा। यह जानना बहुत जरूरी है कि दिक्कत आखिर आ कहाँ रही है? ऐसा कौन सा कदम है जो आप नहीं उठा सकते या ऐसी कौन सा हुक है जो आपको सकारात्मक कार्य करने से रोक रहा है।
  • सकारात्मक सोच के लिए यह भी बहुत जरूरी है कि आप तनाव वाले माहौल को त्याग दें। कई बार आपके आसपास का वातावरण भी आपकी सोच को प्रभावित करता है। यदि आप के आसपास सकारात्मक सोच का माहौल नहीं है या आपके आस पास के लोग सकारात्मक नहीं सोचते तो यह आपके ऊपर काफी बुरा प्रभाव डालेगा।

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