रवीन्द्रनाथ टैगोर के 40 अनमोल विचार Rabindranath Tagore Quotes in Hindi

रवीन्द्रनाथ टैगोर के 40 अनमोल विचार Rabindranath Tagore Quotes in Hindi

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था। वे एक महान साहित्यकार, दार्शनिक, विचारक और साहित्यकार थे। उन्हें “गीतांजलि” काव्य ग्रंथ के लिए 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। महात्मा गांधी ने रवीन्द्रनाथ टैगोर को “गुरुदेव” की उपाधि दी थी। उनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था।

उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, चित्रकारी सभी क्षेत्रों में योगदान दिया है। इसके साथ ही रवीन्दनाथ टैगोर एक महान संगीतकार भी थे। बांग्लादेश के राष्ट्रीय गीत “आमार सोनार बांग्ला” उनके गीत से ही लिया गया है। भारत के राष्ट्रगान जन गण मन को भी उन्होंने लिखा था।

रवीन्द्रनाथ टैगोर के गीतों को रविंद्र संगीत के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कोलकाता में शांतिनिकेतन की स्थापना की। जॉर्ज पंचम ने उन्हें नाइटहुड की उपाधि दी थी जिसे सन 1919 में जालियावाला हत्याकांड के विरोध में में वापस कर दिया था।

रवीन्द्रनाथ टैगोर के 40 अनमोल विचार Rabindranath Tagore Quotes in Hindi

इस लेख में हम आपको रवीन्द्रनाथ टैगोर के प्रमुख अनमोल विचार के बारे में बतायेंगे –

  1. मूर्ति का टूट कर धूल में मिल जाना यह साबित करता है कि ईश्वर की धूल आप की मूर्ति से अधिक महान है।
  2. हम दुनिया में तब जीते हैं जब उससे प्रेम प्यार करते हैं।
  3. सिर्फ खड़े होकर देखने से कोई व्यक्ति नदी पार नहीं कर सकता है।
  4. मुखर होने पर कोई भी व्यक्ति आसानी से सत्य बोल सकता है। उसे प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती।
  5. कला इंसान की रचनात्मक आत्मा की यथार्थ के पुकार के प्रति प्रतिक्रिया है।
  6. प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता , बल्कि स्वतंत्रता देता है।
  7. संगीत दो आत्माओं के बीच के अनंत को भरता है।
  8. तितली महीने नहीं क्षण गिनती है, और उसके पास पर्याप्त समय होता है।
  9. उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है।
  10. जिनके स्वामित्व बहुत होता है उनके पास डरने को बहुत कुछ होता है।
  11. पृथ्वी  द्वारा स्वर्ग से बोलने का अथक प्रयास हैं ये पेड़।
  12. सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है. यह इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता है।
  13. कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है जो उसे मारना चाहते हैं।
  14. मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है।
  15. हर बच्चा इसी सन्देश के साथ आता है कि भगवान अभी तक मनुष्यों से हतोत्साहित नहीं हुआ है।
  16. तथ्य कई हैं पर सत्य एक है।
  17. वो जो अच्छाई करने में बहुत ज्यादा व्यस्त है ,स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं।
  18. मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है। मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है। मैंने सेवा की और पाया कि सेवा आनंद है।
  19. हम ये प्रार्थना ना करें कि हमारे ऊपर खतरे न आयें, बल्कि ये करें कि हम उनका सामना करने में निडर रहे।
  20. जीवन हमें दिया गया है, हम इसे देकर कमाते हैं।
  21. पंखुडियां तोड़ कर आप फूल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते।
  22. प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है।
  23. जो कुछ हमारा है वो हम तक तभी पहुचता है जब हम उसे ग्रहण करने की क्षमता विकसित करते हैं।
  24. कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी।
  25. यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा।
  26. प्रेम ही एक मात्र वास्तविकता है, ये महज एक भावना नहीं है अपितु यह एक परम सत्य है जो सृजन के समय से ह्रदय में वास करता है।
  27. जब मैं खुद पर हँसता हूँ तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है।
  28. बर्तन में रखा पानी हमेशा चमकता है और समुद्र का पानी हमेशा गहरे रंग का होता है। लघु सत्य के शब्द हमेशा स्पष्ठ होते हैं, महान सत्य मौन रहता है।
  29. फूल एकत्रित करने के लिए मत रुको। आगे बढ़े चलो, तुम्हारे पथ में फूल निरंतर खिलते रहेंगे।
  30. आस्था वो पक्षी है जो भोर के अँधेरे में भी उजाले को महसूस करती है।
  31. मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।
  32. किसी बच्चे के ज्ञान को अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिये क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है।
  33. हर वह कठिनाई जिससे आप अपना मुंह मोड़ लेते हैं वह एक भूत बन कर आपकी नीद में खलल डालेगी।
  34. आयु सिर्फ सोचती है तो जवानी करती है।
  35. हमें आजादी तब मिलती है जब हम इसकी पूरी कीमत चुका देते हैं।
  36. अकेले फूल को कई काँटों से इर्ष्या करने की ज़रुरत नहीं होती।
  37. उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है।
  38. जिनके स्वामित्व बहुत होता है उनके पास डरने को बहुत कुछ होता है।
  39. मिटटी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है।
  40. मंदिर की गंभीर उदासी से बाहर भागकर बच्चे धूल में बैठते हैं, भगवान उन्हें खेलता देखते हैं और पुजारी को भूल जाते हैं।

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