चक्रवात और इसका प्रबन्धन Cyclone and Its management in Hindi

चक्रवात और इसका प्रबन्धन Cyclone and Its management in Hindi

चक्रवात में हवा सर्पिल/ गोलाकार रूप में गोल गोल घूमती है। हवा की रफ्तार बहुत तीव्र होती है। हवा पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त और दक्षिणी गोलार्द्ध में वामावर्त रूप से घूमती है। यह अक्सर समुद्री क्षेत्रों में निम्न वायुदाब वाले क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं।

इसमें हवा गोल-गोल ऊपर की तरफ भागती है और अपने रास्ते में आने वाले सभी चीजों जैसे पेड़, मकान, इमारतें, कार, वाहन सभी को तोड़ कर नष्ट कर देती है। चक्रवात बहुत ही खतरनाक होते हैं। यह जिस क्षेत्र में आते हैं सब कुछ नष्ट कर देते हैं। इमारतों को नष्ट कर देते हैं। हर साल विश्व भर में चक्रवात में हजारों लोगों की मौत हो जाती है।

चक्रवात और इसका प्रबन्धन Cyclone and Its management in Hindi

चक्रवात क्या है? What is Cyclone?

उत्पत्ति के आधार पर चक्रवात 2 प्रकार के होते हैं-

  • ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात।
  • शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात।

चक्रवात को अंग्रेजी में साइक्लोन (Cyclone) कहते हैं। सन 2013 में उड़ीसा में विनाशकारी चक्रवात आया था जिसने उड़ीसा के बहुत से गांव को नष्ट कर दिया था। साढ़े 5 लाख से अधिक लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था। इस चक्रवात में 30 से अधिक लोगों की जान गई थी।

सन 2014 में विशाखापट्टनम में हुदहुद चक्रवात आया था जिसने समुद्र तटीय भागों में बहुत नुकसान पहुंचाया था। “हुदहुद” चक्रवात से 21908 करोड रुपए का नुकसान हुआ था। इससे 124 लोगों की मौत हुई थी। 2017 में हिन्द महासागर में ओखी चक्रवात आया जिसमे 12 लोगो की मौत हो गयी। 200 मछुआरे समुद्र में फंस गये थे।

चक्रवात से बचने के उपाय Disaster Management in Cyclone

भारतीय मौसम विभाग द्वारा पूर्व में चक्रवात की चेतावनी देना

चक्रवात से बचने का सबसे अच्छा उपाय है कि भारतीय मौसम विभाग चक्रवात पर  नजर रखे रहे। मौसम वैज्ञानिकों को चाहिए कि वह तुरंत ही चक्रवात आने की सूचना जनसाधारण को उपलब्ध कराएं। यह सूचनाएं रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट, सोशल मीडिया के द्वारा लोगों को आसानी से पहुंचायी जा सकती है।

भारत सरकार ने बंगाल की खाड़ी में और अरब सागर में चक्रवात चेतावनी केंद्र (India Meteorological Department) स्थापित किया है। नई दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय चक्रवात चेतावनी केंद्र दोनों केंद्रों के बीच समन्वयक का कार्य करता है। लोगो को चक्रवात आने पर मौसम विभाग द्वारा दिया जाने वाले समाचार सुनने चाहिये।

चक्रवात आने से पहले घर की मरम्मत करवायें

चक्रवात में हवा की गति 200 से 300 की किमी प्रति घंटा हो जाती है। इसलिए जो लोग समुद्र तट के किनारे रहते हैं उनको अपने घरों की खिड़कियां। दरवाजे, छत की मरम्मत अच्छे से करवा लेनी चाहिए।

चक्रवात में हवा घरों में घुसने की कोशिश करती है यदि आपके घर की खिड़कियां दरवाजे टूटे होंगे तो संभव है कि हवा आपके घर को तोड़ दे या नष्ट कर दे। इसलिए घर की मरम्मत जरूर करवायें। चक्रवात से बचने के लिए टीन शेड, गैरेज, घर के सामने के साइन बोर्ड, पोस्ट बॉक्स आदि को अच्छे से टाइट करवा लें।

वरना तेज हवा में उड़ सकते हैं। ढीले बिजली के तारों को टाईट करवा लेना चाहिये वरना यह हवा से टूट सकते हैं। अपने पालतू जानवरों को घर के बाहर ना रखें। उन्हें घर के अंदर सुरक्षित रखें।

इमरजेंसी किट अपने पास रखें

चक्रवात के समय तेज हवाओं के कारण बिजली चली जाती है इसलिए सब तरफ अंधेरा हो जाता है। ऐसी हालत में अपने पास एक लालटेन, टॉर्च, सूखे फल खाना, पीने का पानी, चाकू, रस्सी और फोन अवश्य रखें।

रेडियो से जुड़े रहे

चक्रवात आने पर सरकार समय-समय पर नये समाचार रेडियो पर देती रहती है। इसलिए अपने पास एक रेडियो अवश्य रखें।

शहर का नक्शा अपने साथ

यह आपके बहुत काम आयेगा। शहर का नक्शा यदि आपके पास होगा तो आप मुश्किल हालात में सुरक्षित स्थानों पर अपने परिवार के साथ जा सकते हैं। याद रखें चक्रवात में सदैव अपने परिवार के साथ ही रहे।

लकड़ी के मकानों में रहना ज्यादा सुरक्षित होगा क्योंकि वह गिरने पर किसी को चोट नहीं पहुंचाते हैं जबकि ईट और सीमेंट से बने पक्के मकान नष्ट होने पर उसके अंदर छुपे हुए लोग भी मारे जाते हैं। इसलिए कोशिश करें कि लकड़ी के मकान के अंदर शरण लें।

सरकारी बचाव दल/ एंबुलेंस/ अग्नि शमन केंद्र का नंबर अपने पास रखें

किसी भी आपातकालीन स्थिति का सामना करने के लिए आप अपने पास सरकारी बचाव दल का फोन नंबर जरूर रखें। इसके साथ ही एंबुलेंस का नंबर अपने पास रखे। यदि कोई घायल होता है तो तुरंत एंबुलेंस को फोन करें और उसे अस्पताल भिजवा दें। आग लगने पर आप अग्निशमन दफ्तर में फोन करें और पानी से भरी गाड़ी लाने के लिए कहें।

यात्रा ना करें

चक्रवात में हवा बहुत तेज गति से दौड़ती हैं। अपने रास्ते में आने वाले सभी चीजों को नष्ट कर देती हैं। इसलिए सबसे अच्छा होगा कि आप चक्रवात में यात्रा ना करें। किसी सुरक्षित जगह पर छुप जाएं।

अमेरिका, कनाडा में ज्यादातर लोग अपने घरों के बेसमेंट में शरण लेते हैं। फिर चक्रवात चले जाने पर बाहर निकल आते हैं। चक्रवात के समय यात्रा करना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं होता है। पेड़ टूटकर आप पर गिर सकते हैं। आपकी कार को नष्ट कर सकते हैं।

घरों के नीचे बेसमेंट बनाएं

जिन क्षेत्रों में अधिक चक्रवात आते हैं वहां के लोगों को अपने घरों के नीचे बेसमेंट बनाना चाहिए। इससे उन्हें आपातकालीन स्थिति में शरण मिलेगी।

सूखा भोजन अपने साथ रखें

चक्रवात जैसी आपातकालीन स्थिति में आप अपने पास सूखा भोजन जैसे बिस्कुट, रस, पैकेज फूड रख सकते हैं।

मछुआरे समुद्र से दूर रहें

चक्रवात के समय मछुआरों को समुद्र में नहीं जाना चाहिए। यह बहुत ही खतरनाक होता है। भारत सरकार चक्रवात के समय मछुआरों को समुद्र में मछली पकड़ने से रोकती है।

सरकार को राहत केंद्र बनाना चाहिये

चक्रवात आने पर देश की सरकार को राहत केंद्रीय बनाना चाहिए। भारत की सरकार स्कूलों को राहत शिविर बना देती है। आपातकालीन स्थिति में नये राहत शिविर बनाना बहुत मुश्किल होता है। 2017 में दक्षिण भारत, श्रीलंका में ओखी चक्रवात आया था।

इसमें 220 परिवारों को विस्थापित किया गया और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। ओखी चक्रवात से समुद्र में निम्न वायुदाब बन गया था जिससे श्रीलंका में भारी बारिश हुई। इसमें 15 लोग मारे गए। भारत के केरल और तमिलनाडु राज्यों में ओखी चक्रवात से भीषण बारिश हुई। इसमें 25 लोगों की जान चली गई और अनेक लोग लापता हो गये।

चक्रवात आने पर सेना और तटरक्षक बलों की मदद लेनी चाहिए

चक्रवात आने पर समुद्र में सेना और तटरक्षक बलों को भेजा जाता है जिससे वहां फंसे मछुआरे और दूसरे लोगों को बचाया जा सके।

Featured Image Source – https://www.skymetweather.com/insat/weather-satellite-images-of-india/03-00

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