सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास Indus Valley Civilization History in Hindi

आज के दौर में शिक्षा से संबंधित लगभग बहुत सी परीक्षाओं में सिंधु घाटी सभ्यता के इतिहास (Indus Valley Civilization History in Hindi) के बारे में पूछा जाता है। स्कूल और कॉलेजों से लेकर देश की कुछ बड़ी परीक्षाओं में भी इस पर चर्चा करने के लिए कहा जाता है।

अगर आप सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास जानना चाहते हैं, तो इस लेख में सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास (History of Indus Valley Civilization in Hindi) हिंदी में बेहद आसान भाषा में बताया गया है।

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सिंधु घाटी की सभ्यता का विकास कहाँ हुआ था? Where did the Indus Valley Civilization Developed in Hindi?

दुनियां की लगभग बहुत सी संस्कृतियां, सभ्यताएं और नगरों का विकास नदियों के किनारे ही हुआ है। जिस प्रकार मिस्र की सभ्यता नील नदी के किनारे फली फूली और विकसित हुई है, उसी तरह सिंधु घाटी की सभ्यता भी सिंधु नदी के किनारे उपजी है।

वर्तमान में सिंधु नदी का उद्गम स्थान चाइना है। चाइना से निकलने वाली सिंधु नदी भारत होते हुए पाकिस्तान की तरफ बहती है।

आपको बता दें, कि दुनिया की कई विकसित सभ्यताएं जैसे मेसोपोटामिया की सभ्यता, मिस्र की सभ्यता और चाइना की सभ्यता आदि से भी ज्यादा सिंधु घाटी की सभ्यता उन्नत थी।

3500- 1700 ई. पू. तक सिंधु घाटी की सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी और विकसित सभ्यता में से सबसे मुख्य थी।

इस सभ्यता का विकास दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग में, यानी कि अखंड भारत के पश्चिमी भूभाग के बहुत  बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ था। सिंधु नदी के किनारे बसने के कारण इस सभ्यता को सिंधु घाटी की सभ्यता कहा जाने लगा।

सिंधु घाटी की सभ्यता का विकास कैसे हुआ? How did the Indus Valley Civilization Developed in Hindi?

सिंधु घाटी सभ्यता बहुत हद तक इराक के मेसोपोटामिया सभ्यता के अंतर्गत सुमेरू जो कि शहरी भागों में आते थे, उनसे मिलती जुलती थी।

प्रारंभ में खेती करके लोग अपना गुजारा करते थे। समय बदलने के साथ लोगों के जीवन शैली में भी बदलाव आया। अब लोग खेती करके जो उत्पाद होता था, उसे दूसरे लोगों को बांटने लगे और मुनाफा कमाने लगे। हालांकि यह मुनाफा पैसों में नहीं होता था, बल्कि कुछ कीमती पत्थरों या दूसरी सामग्रियों के बदले किया जाता था।

धीरे धीरे सिंधु सभ्यता की अर्थव्यवस्था में भी बदलाव आए और पशु पालन तथा कृषि के साथ-साथ व्यापार और वाणिज्य में भी विकास हुआ।

सिंधु सभ्यता के लोग बहुत विकसित थे। यदि दुनिया में सबसे अधिक विकसित सभ्यता की बात की जाए तो रोमन सभ्यता के बाद सिंधु घाटी की सभ्यता दूसरे नंबर पर गिनी जाएगी।

दूसरे देशों में व्यापार के साथ ही सिंधु घाटी सभ्यता एक विकसित रूप लेने लगी इस प्रकार सिंधु घाटी सभ्यता का विकास उत्तम रूप से हुआ।

सिंधु घाटी सभ्यता की खोज कैसे हुई? How Was the Indus Valley Civilization Discovered in Hindi?

streets of indus valley

सिंधु घाटी की सभ्यता अपने नगर नियोजन के लिए सबसे अधिक प्रख्यात है। जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था। उस समय 1826 में चार्ल्स मैसेज ने पहली बार सिंधु घाटी सभ्यता के विषय में कुछ धुंधली जानकारियां दी थी, लेकिन वह मान्य नहीं हुई।

जब लाहौर से कराची तक रेलगाड़ी बनाने के लिए खुदाई काम चल रहा था, तो विलियम बर्टन और जेम्स बर्टन नामक दो भाइयों को खुदाई करते वक्त कुछ ईंटे साक्ष्य के रूप में मिली थी।

वे लोग इस बात से बिल्कुल अनजान थे, कि उन्होंने जीन ईंटो को खोजा था, वह साधारण नहीं थी। उन्होंने इन ईंटो को भी भवनों के निर्माण और अन्य कार्य में लगा दिया।

इसके पश्चात अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1856 में सिंधु घाटी सभ्यता के पूरे क्षेत्र का दौरा किया और सर्वेक्षण के बाद यह पाया कि इस विलुप्त सिंधु घाटी सभ्यता का कुल क्षेत्रफल लगभग 1300000 किलोमीटर प्रति स्क्वायर से भी अधिक हो सकता है।

सन 1921 में अंग्रेज ऑफिसर जॉन मार्शल के नेतृत्व में रायबहादुर दयाराम साहनी ने सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई शुरू की। जब धीरे-धीरे करके इसके अवशेष दिखने लगे तो सभी आश्चर्यचकित थे।

सिंधु घाटी सभ्यता में सबसे पहले हड़प्पा सभ्यता की खोज हुई थी। इसीलिए सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता अथवा सिंधु सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।

खनन कार्य के बाद सिंधु घाटी सभ्यता में लगभग 300 जितने अलग-अलग नगर पाए गए थे। गुजरात में सिंधु सभ्यता की सबसे अधिक लगभग 200 जितने नगर खोजे गए थे।

सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं Salient Features of Indus Valley Civilization in Hindi

आधुनिक समय में जिस प्रकार के उत्तम नगर नियोजन की स्थापना की जाती है, ठीक वैसे ही सिंधु घाटी सभ्यता की नगर नियोजन पद्धति बेहद सर्वश्रेष्ठ और आधुनिकता से परिपूर्ण थी।

ग्रिड प्रणाली के अनुसार यहां की सड़कों को बनाया गया था, जिसमें एक दूसरे को काटकर सभी सड़कें समकोण बनाती थी।

इस सभ्यता के लोग बहुत साफ-सफाई रखते थे, जिसका साक्ष्य इस बात से मिलता है कि वहां के सभी भवनों को जल निकासी प्रणाली से जोड़ा गया था।

अवशेषों के मुताबिक भवन निर्माण की प्रक्रिया में जली हुई ईंटों का प्रयोग किया जाता था। लोथल में बनाए गए सभी घरों के द्वार सड़क की ओर खुलते थे।

सिंधु सभ्यता के लोग कांस्य की धातु से भलीभांति परिचित थे। सिंधु घाटी सभ्यता के एक शहर मोहनजोदड़ो में कांस्य की बनी हुई एक नर्तकी की प्रतिमा अवशेष के रूप में प्राप्त हुई है।

टेराकोटा के मोहर यानी कि मिट्टी को जलाकर बनाए गए सिक्के जिन पर सांड, बैल, हिरन, हाथी, एक शिंगी गेंडा आदि पशुओं को दर्शाया गया था, वे बहुत प्रख्यात थें।

सिंधु घाटी सभ्यता से ऐसे बहुत सारे अवशेष प्राप्त हुए हैं, जो लिखित तौर पर हैं लेकिन उन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। इस सभ्यता को इतिहास के “आद्द- ऐतिहासिक” भाग में रखा जाता है।

सिन्धु घाटी सभ्यता में व्यापार और वाणिज्य Trade and Commerce in The Indus Valley in Hindi

ancient clay painting of indus valley civilization

सिंधु घाटी सभ्यता में ऐसे कई अवशेष प्राप्त हुए हैं, जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है, कि सिंधु सभ्यता के लोग व्यापार और वाणिज्य के लिए दूसरे देशों में भी जाते थे।

टेराकोटा के सिक्के अथवा मोहर के साक्ष के मुताबिक हड़प्पाई लोगों का व्यापार फारस और मेसोपोटामिया तक फैला हुआ था। यहां तक मिस्र में भी सिंधु सभ्यता के टेराकोटा के मनके और मुहर प्राप्त हुए हैं।

सीप अथवा शंख, कीमती पत्थर, आभूषण इत्यादि का व्यापार बड़े स्तर पर किया जाता था। इसके अलावा मृदभांड तथा चमकदार बर्तनों का व्यापार भी किया जाता था। सिंधु घाटी सभ्यता में व्यापारी वर्गों को ही शासक के तौर पर समझा जाता था।

उस समय में भी पशुपालन और खेती एक बड़े व्यवसाय हुआ करते थे। जिसके ज़रिए लोग अपने उत्पादों का क्रय विक्रय करके जीवन निर्वाह करते थे।

सिंधु सभ्यता का बंदरगाह Port of the Indus civilization in Hindi

बंदरगाह यानी कि पत्तन अथवा गोदीवाड़ा एक ऐसा समुद्री किनारा जहां छोटे-बड़े जहाजों अथवा कश्तियों को किनारे रखा जाता हो। प्राचीन समय में दूसरे देशों में होने वाले सभी व्यापार और आवागमन बंदरगाहों से ही होता था।

सुतकागेंडोर सिंधु सभ्यता का सबसे पश्चिमी छोर था, जहां एक छोटा बंदरगाह स्थित था। वर्तमान समय में दास्क नदी के किनारे स्थित यह जगह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में आया है।

भोगवा नदी के किनारे आया हुआ लोथल बंदरगाह सिंधु सभ्यता के सबसे प्रसिद्ध और बड़े बंदरगाहों में से एक माना जाता है।

इस समय होने वाले बहुत से बड़े बड़े व्यापार लोथल के रास्ते से ही किए जाते थे। लोथल बंदरगाह की बात की जाए तो यह आज के समय में भी बहुत प्रख्यात है।

सिंधु घाटी सभ्यता के नगर Cities of The Indus Valley in Hindi

सिन्धु घाटी सभ्यता जिस क्षेत्र में विकसित हुई है, वहां का आकार त्रिभुजाकार है। इस सभ्यता का विस्तार बहुत बड़े क्षेत्र तक फैला हुआ था। सिंधु सभ्यता के अधिकतर नगर गुजरात में खोजे गए हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता में कुछ प्रख्यात नगरों अथवा सभ्यताओं के विषय में निम्नलिखित रुप से बताया गया है-

हड़प्पा सभ्यता: सिंधु सभ्यता के खुदाई कार्य के समय सबसे पहले जो नगर अथवा सभ्यता हाथ लगी थी वह हड़प्पा सभ्यता है। सबसे पहले खोजे जाने के कारण सिंधु सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहते हैं।

दयाराम साहनी द्वारा खोजा गया यह नगर आज के समय में रावी नदी के किनारे वर्तमान पाकिस्तान में स्थित है।

हड़प्पा से मिलने वाले अवशेषों में अन्नागार, श्रम आवास, कुम्हार का चाक, मातृदेवी की मूर्ति और मोहर जिन पर एक सिंघिय जानवर का चिन्ह बना था, प्राप्त हुए हैं साथ ही ओखली और हाथी की खोपड़ी भी अवशेष के रूप में मिले हैं।

मोहनजोदड़ो: मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ मृतकों का टीला होता है। सिंधु नदी के किनारे आया यह नगर पाकिस्तान में स्थित है। आपको बता दें, कि मोहनजोदड़ो पर एक फिल्म भी बनाई जा चुकी है।

यहां पर स्नानागार, सभागार, पुरोहित आवास और पशुपति शिव मूर्तियां अवशेष के रूप में मिले हैं।

चन्हूदड़ो: चन्हूदरो सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख शहर है। यह पाकिस्तान के मुल्लन संघ में आज के समय में स्थित है।

यहां अवशेष के रूप में स्त्रियों से संबंधित साक्ष्य अधिक संख्या में मिले हैं। इसके अलावा मनका, अलंकृत ईंटें, दुर्ग रहित भवन इत्यादि प्राप्त हुए हैं।

इन नगरों के अलावा सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त होने वाले नगरों में सुतकागेंडोर, सुरकोटदा, रंगपुर, लोथल, रोपड़, बनावली, राखीगढ़ी, कालीबंगा इत्यादि मुख्य शहरों की पहचान की गई है।

महास्नानघर के विषय में जानकारी Information about The Great Bath in Hindi

The Great Bath of Indus Valley (Mohenjodaro)

39 फीट ऊंचा, 23 फीट चौड़ा तथा 8 फीट गहरा एक विशाल स्नानागार मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुआ है।

हजारों साल पहले निश्चित ही सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का कार्य बहुत ही सराहनीय था। खोजे गए साक्ष्यों के अंतर्गत यह मालूम हुआ है, कि मोहनजोदड़ो में आम लोगों के भवन में भी छोटे-छोटे स्नानागार प्राप्त हुए हैं।

स्नानागार से निकलने वाले व्यर्थ गंदे पानी को निकालने के लिए सुरंग बनाई जाती थी। यह सभी सुरंगे एक जगह आकर मिलती थी।

इसके अलावा बड़े बड़े पुरोहितों और अनुष्ठान करने के बाद शुद्धी के लिए महास्नानागार का निर्माण किया जाता था। जो आकार में वाकई बहुत बड़ा होता था।

सिंधु घाटी सभ्यता में पूजा पाठ Worship in the Indus Valley Civilization in Hindi

सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों में कभी भी मंदिर का साक्ष्य नहीं प्राप्त हुआ है। इससे यह बात तो साफ होती है, कि सिंधु सभ्यता में मंदिरों का निर्माण नहीं किया जाता था।

लेकिन प्राचीन समय में इस सभ्यता से कई ऐसी मूर्तियां प्राप्त हुए हैं, जो ईश्वर की ओर इशारा करती हैं। यहां तीन मुख वाले देवता की मूर्ति मिली है जिसके चारों तरफ कुबड़ वाला सांड, गेंडा, हिरन इत्यादि हैं। इसके अलावा पशुपतिनाथ की प्रतिमा के अवशेष मिले हैं।

उस समय के लोग पेड़-पौधों की पूजा करते थे और साथ ही कुछ पशुओं की भी पूजा करते थे। इसके अलावा हवन सामग्री अथवा हवन कुंड के अवशेष लोथल और कालीबंगा से प्राप्त हुए हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता के खिलौने के विषय में जानकारी Information about Toys Made by Indus Valley Peoples

सिन्धु घाटी सभ्यता में खिलौनों का भी अवशेष मिला है। अक्सर मिट्टी द्वारा बनाए गए खिलौने जैसे मिट्टी का बर्तन, गाड़ी, गुड़िया इत्यादि का उत्पादन अधिक किया जाता था।

इसके अलावा बच्चों के खेलने के लिए लकड़ी द्वारा निर्मित कई प्रकार के खिलौने बनाए जाते थे।

कार्बन c14 की पद्धति से इन खिलौनों के विषय में जांच किया गया और यह अनुमान लगाया गया कि सिंधु घाटी सभ्यता में इसी प्रकार के खिलौने मिलते होंगे। इसके अलावा इनकी प्राचीनता का भी पता लगाया गया है।

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन Decline of Indus Valley Civilization in Hindi

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन कई पुरातत्वविदो के बीच एक विवादित मुद्दा रहा है। बहुत से पुरातत्वविदों के विचार सिंधु सभ्यता के पतन को लेकर आज भी बटे हुए हैं।

कई लोगों का यह मानना है, कि सिंधु घाटी सभ्यता का नाश विदेशियों के आक्रमण के कारण 1800 ई. पू. में हुआ था।

वहीं दूसरे लोगों को यह तर्क है, कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण सिंधु घाटी सभ्यता विलुप्त हुई है। लेकिन बहुत से लोगों द्वारा यह स्वीकार किया जा चुका है, कि बाढ़ की तबाही के कारण ही सिंधु घाटी सभ्यता नष्ट हुई है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने हिंदी में सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास (Indus Valley Civilization History in Hindi) पढ़ा। आशा है कि यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो तो शेयर जरूर करें।

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