नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें? Newborn Baby Care Tips in Hindi

नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें? Newborn Baby Care Tips in Hindi

अपने 9 महीने के प्रेगनेंसी के बाद जब कोई महिला अपने बच्चे को जन्म देती है और जब वह बच्चा सही सलामत उस माँ के हांथों में होता है तो दुनिया में उससे सुन्दर और ख़ुशी भरा कोई समय नहीं होता है। बच्चे को 9 महीने तक गर्भ में रखना हर माँ के लिए बहुत ही मुश्किल और महत्वपूर्ण समय होता है।

पर बच्चे का जन्म होने के बाद भी आपको बहुत सारी चीजों का ध्यान देना पड़ता है जो हर नवजात शिशु के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी भी नवजात शिशु के जन्म के बाद उसका बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि बच्चे बहुत ज्यादा Sensitive होते हैं औ उन्हें Infection जल्दी से हो जाता है इसलिए यह बहुत आवश्यक है।

आज हम आपको कुछ अच्छे टिप्स बताएँगे जिससे आपको अपने नवजात शिशु की देखभाल में मदद मिलेगी और बच्चा स्वस्थ भी रहेगा। तो चलिए शुरू करते हैं।

नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें? Newborn Baby Care Tips in Hindi

बच्चा जन्म होने के बाद कुछ मुख्य बाते Some Important things after Delivery

अपने पहले Delivery पर हो सकता है आपको बहुत सारी बातों के बारे में पता ना हो। सबसे पहले अस्पताल में किसी भी Feeding Expert से सलाह लें और समझें कि बच्चे को कैसे दूध पिलाना है और कैसे बच्चे का ध्यान रखना है।

घर के बड़े लोग भी बहुत सारी छोटी-छोटी बातों के लिए मदद करते हैं उनसे भी सीखें। ज्यादा लोगों से नवजात शिशु को दूर रखें क्योंकि इससे इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है।

नवजात शिशु को कैसे पकड़ें? Handling a Newborn

कुछ साधारण चीजों का आपको ध्यान रखना होगा जैसे –

  1. नवजात शिशु को कोई अन्य कार्य करने के बाद हमेशा अपने हांथों को अच्छे से साबुन या हैण्ड वाश से धोएं। बच्चों का Immune System उतना मजबूत नहीं होता है। इसीलिए गंदे हांथों से छूने से बच्चे को इन्फेक्शन होने का डर रहता है।
  2. नवजात शिशु के गर्दन को संभल कर पकडे क्योंकि जन्म के कुछ महीने बाद ही उनके गर्दन का विकास अच्छे से होता है। गर्दन को सहारा ना देने से बच्चे के गर्दन में मोच या और भी खतरनाक परिणाम हो सकते हैं।
  3. बच्चे को ज़ोर-ज़ोर से ना हिलाएं इससे बच्चे के सर में खून जमने की खतरा होता है।
  4. बच्चे के सोते समय ज़ोर से पंखा ना चलाएं क्योंकि इससे नवजात शिशु को साँस लेने में मुश्किल होती है।

नव जात शिशु का पालन पोषण Nourishment of Newborn baby

शिशु के जन्म के बाद हर माता पिता को बहुत ख़ुशी होती है। माता पिता बच्चे को बहुत ही प्यार से खिलते  हैं और झुला-झुलाते हैं। बच्चों को प्यार और दुलार से रखना ही देखभाल का प्रथम चरण है। माँ को अपने नवजात शिशु को अपने सिने से लगा कर हमेशा रखना चाहिए।

सभी नवजात शिशुओं को Baby Massage Oil से मसाज करना चाहिए इससे शिशु की मंश्पेशियाँ और हड्डियाँ मजबूत होते है। जब भी मालिश करें ज्यादा जोर से ना करें, हल्के-हल्के हांथों से मालिश करें।

बच्चों की देखभाल से जुड़े कई किताबें भी ऑनलाइन उपलब्ध हैं आप उन्हें खरीद कर भी पढ़ सकते हैं। आप चाहें तो अपने डॉक्टर से भी बच्चे की मालिश में विषय में भी पूछ सकते हैं।

शिशुओं को लोगों की बातें, गाना सुनना बहुत अच्छा लगता है। बच्चों को आप लोरी भी सुना सकते हैं इससे उन्हें नयी-नयी चीजें सिखने को मिलता है और वो उत्साहित और खुश रहते हैं। आप चाहें तो बच्चे के झूले में सुन्दर सा बेल भी लगा सकते हैं।

कुछ बच्चे Sensitive या कोमल भाब होते हैं उन्हें रौशनी और शोर-गुल से थोडा परेशानी होती है और वो इसीलिए ज्यादा रौशनी या आवाज़ होने पर रोने लगते हैं। कुछ ऐसे भी शिशु होते हैं जो अन्य शिशुओं की तुलना में कम सोते हैं। ऐसे शिशुओं के सामने ज्यादा शोर गुल ना करें और उन्हें शांत माहोल दें।

अगर आपके क्षेत्र में मक्खी या मच्छर ज्यादा हैं तो शिशु के लिए एक नेट ज़रूर खैदें और उससे ढकें जिससे कि वह डेंगू, मलेरिया से दूर रहे।

शिशु के जन्म के पहले कुछ हफ्ते उन्हें कपडे से अच्छे से लपेट कर रखना चाहिए। इसके लिए आपको सही तरीके से बच्चे को लपेटना आना चाहिए। अगर आपको लपेटना नहीं आता है तो किसी Professional Person या Nurse या घर में बड़ों से पूछें। यह बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि इससे शिशु के हाँथ उसके शरीर के पास रहते हैं और बच्चों को पैरों को हिलाने में आसानी होती है।

बच्चे को कपडे से कैसे लपटें? –

  • सबसे पहले एक मोटे तौलिये को बिछा दें, और उसके एक कोने को थोड़ा सा ऊपर कीें ओर मोड़ दें।
  • उसके बाद शिशु के सर को उस मोड़े हुए भाग पर रख कर लेटा दें।
  • उसके बाद दोनों तरफ के कपड़ों को Baby के शरीर में लाकर घुमा दें।
  • नीचे के कपडे को सीधे शिशु के मुहं की सिधाई में आराम से मोड़ कर फसा दें।
  • याद रखें कपडे को ज्यादा टाइट ना बांधें क्योंकि इससे बच्चे के पैरों को फ़ैलाने में मुश्किल होगी और साँस लेने में भी होगी।
  • कपडे में लपेटना मात्र 2 महीने से कम समय के बच्चों को किया जाना चाहिए।

डायपर बदलते समय क्या करें और क्या नहीं? Diapering Tips for Newborn babies

आपकी इच्छा और सुविधा के अनुसार आप डायपर के लिए कपडे या डिस्पोजेबल डायपर का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप जो भी इस्तेमाल करें आपको 10 बार दिन में, 70 बार हफ्ते में बदलना पड़ेगा।

  • एक साफ़ डायपर या साफ़ फोल्ड किआ हुआ कपडा।
  • डायपर ऑइंटमेंट।
  • गुनगुना पानी।
  • पोछने के लिए साफ़ कपडा।
  • रुई।

एक बार डायपर को गन्दा करने के बाद डायपर को खोल दें। उसके बाद शिशु को उल्टा करके सुला दें और गुनगुने पानी में रुई को डूब कर शिशु के नीचे भाग को सावधानी से साफ़ करें और सूखे कपडे से अच्छे से पोछें।

उसके बाद डायपर ऑइंटमेंट को लगाएं और नया डायपर पहनाएं। डायपर के कारण त्वचा लाल हो जाता है इसलिए डायपर ऑइंटमेंट लगाना जरूरी है। साथ ही एंटीबैक्टीरियल पाउडर का भी आप उपयोग कर सकते हैं।

अगर तब भी Diaper Rash कम ना हो या त्वचा लाल दिखे तो तुरंत अपने नजदीकी शिशु विशेषज्ञ से संपर्क करें।

नवजात शिशु को कैसे नहलाएं? Bathing Basics for Newborn babies

नवजात शिशु को आप तभी नहलाएं जब बच्चे का उम्ब्लिकल कार्ड / गर्भ नाल ना गिरे और नाभि ठीक से सुख ना जाये (1-4 हफ्ते तक)

पहले वर्ष 2-3 बार हफ्ते में नहलाना सही है पर ज्यादा गर्मी वाले स्थानों में 4-5 बार भी हफ्ते में नहला सकते हैं।

नहलाने के लिए baby soap, baby shampoo,का उपयोग करें। नहलाने के बाद बच्चे को अच्छे से कोमल साफ़ तौलिये से पोछें और baby oil से मालिश करें।

बच्चे को नहलाते समय ध्यान दें उनके आँखों और कानों में पानी घुसने ना दें। कोमल कपड़ों या रुई से आँखों के पानी को पोछें।

थोड़ा सा बड़े होने पर आप अपने baby को tub में नहला सकते हैं। उसके लिए एक टब में 2-3 इंच तक गन-गुना पानी लें और उसमें baby को बैठा कर नहलाएं। याद रहे Tub में शिशु तभी नाहा सकतें हैं जब वे बैठने में सक्षम हों।

नहलाते समय कभी भी बच्चों को अकेला ना छोड़े।

नवजात शिशु को स्तनपान / दूध पिलाना Feeding and Burping Your New Born Baby

नवजात शिशु को दूध पिलाते समय बहुत सारी चोजों का ध्यान देना बहुत आवश्यक होता है। चलिये आपको इसके विषय में बताते हैं।

नवजात शिशु को चाहे बोतल से हो या स्तन पान के माध्यम से, बच्चे के भूख के हिसाब से दूध पिलाना चाहिए। जब बच्चों को भूख लगती है तो वो रोते हैं और अपनी उंगलियों को मुहं में भरते हैं।

एक नवजात शिशु को  लगभग 3-4 घंटे में एक बार दूध पिलाना ज़रूरी होता है। अगर आप स्तन पान करा रहे हो तो एक स्तन पर 10-15 मिनट तक स्तनपान कराएं और उसके बाद दुसरे में भी उसी प्रकार 10-15 मिनट। अगर आपको दिखे की बच्चा सही तरीके से दूध नहीं पी रहा है या पीने की इच्छा नहीं कर रहा है तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

लगभग सभी शिशु स्तनपान के समय मुहं से हवा खिंच लेते हैं जिसके कारण उनका पेट फूल जाता है। इसलिए हर बार स्तनपान के बाद शिशु को ऊपर की ओर पकड़ कर पीठ को 5-10 मिनट के लिए थपथपाना चाहिए। इससे बच्चे के पेट में जमा गैस या हवा मुहं के माध्यम से बाहर निकल जाता है।

नवजात शिशु के सोने से जुडी कुछ बातें Sleeping Basics of Newborn babies

एक नवजात शिशु दिन में 16 घंटे से भी अधिक समय तक सोता है। शिशु प्रति 3-4 घंटे में सोते-जागते रहते हैं। सोने के लिए उनका कोई निर्धारित समय नहीं होता है। अगर बच्चा 3-4 घंटे के बाद भी नहीं उठता तो उसे दूध पिलाने के लिये उठाना आवश्यक है।

बच्चों को रात और दिन के विषय में समझने में समय लगता है। चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि 3 महीने तक ज्यादातर नवजात बच्चे दिन को सोतें हैं और रात भर जागते हैं।

नवजात शिशु के बिस्तर पर किसी भी प्रकार का तकिया या ऊँचा निचा सामान ना रखें क्योंकि इससे शिशु को SIDS होने का डर रहता है। शिशु को एक ही तरफ हमेशा सोने ना दें कुछ-कुछ समय में दायें-बायें पलटी करें। बंद कमरे में शिशु को ना सुलाएं। हमेशा Ventilation वाले कमरे में शिशु को सुलाएं जिससे की बच्चे को स्वच्छ हवा मिले।

नवजात शिशु से जुड़े यह कुछ साधारण जानकारी हैं जो हमने इस पोस्ट में आपको बताएं हैं। नवजात शिशु से जुड़े किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर आपका पहला प्राथमिकता डॉक्टर से सलाह लेना है। यह पोस्ट मात्र जानकारी हेतु है।

आशा करते हैं आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा। पोस्ट को Share करना ना भूलें।

https://kidshealth.org/en/parents/guide-parents.html

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