इंदिरा गांधी का जीवन परिचय Indira Gandhi Biography in Hindi

इस लेख में आप इंदिरा गांधी का जीवन परिचय Indira Gandhi Biography in Hindi पढ़ेंगे। इसमें इंदिरा जी की शिक्षा, राजनीतिक करियर, निजी जीवन, मृत्यु, योगदान से जुड़ी की जानकारियाँ दी गई हैं।

इंदिरा गांधी का जीवन परिचय Indira Gandhi Biography in Hindi

भारत की आयरन लेडी कहे जाने वाली इंदिरा गांधी ने अपना नाम इतिहास के पन्नो में बेहद सुनहरे अक्षरों में दर्ज करवाया है। पुरे इतिहास में इंदिरा गांधी एक शक्तिशाली तथा दूर दृष्टि रखने वाली पहली महिला प्रधान मंत्री बनी, जिन्होंने अपने निर्णयों से न केवल हिन्दुस्तान बल्कि पुरे विश्व को आश्चर्यचकित किया।

आजादी के पश्चात हिन्दुस्तान के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की पुत्री इंदिरा ने आगे चलकर देश का राजनैतिक कार्यभार संभाला और देश को विकसित होने का एक नया आयाम दिया। 

हालांकि इंदिरा गांधी के राजनीतिक जीवन में कई उठापटक चलते रहे तथा उनका जीवन कई विवादों से घिरा रहा। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी का जीवन बेहद रोमांचक और विवादित रहा।

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इंदिरा गांधी का जन्म व प्रारंभिक जीवन Indira Gandhi Birth and Early Life in Hindi

19 नवंबर 1917 के दिन नेहरू परिवार में इंदिरा का जन्म हुआ था। माता कमला नेहरू जोकि एक बड़े घर से ताल्लुक रखती थी। इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू देश के सबसे बड़े नेताओं में से एक थे। जवाहरलाल नेहरू जोकि एक बड़े राष्ट्रवादी नेता थे, उनके गुण आगे चलकर इंदिरा में भी आए।

अपने पूरे कार्यकाल में इंदिरा गांधी जी ने कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिनके चलते वह हमेशा विवादों में घिरी रही हैं। यदि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की बात की जाए तो उसे मुख्य बल प्रदान करने का कार्य इंदिरा गांधी ने ही किया है।

देश के सबसे बड़े और पुराने राजनैतिक पार्टी कांग्रेस इंदिरा गांधी के संघर्षों की बदौलत ही आज तक रणभूमि टिकी हुई है।

इंदिरा गांधी, महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण हैं, जिन्होंने सालों पहले जब महिलाओं को राजनीति में कोई सम्मान और पद नहीं दिया गया था तो उन्होंने प्रधानमंत्री बनकर एक मिसाल पेश की। 

इंदिरा गांधी अपनी शुरुआती राजनीतिक जीवन में इतनी कार्यरत नहीं थी, जिसकी वजह से कई लोग उन्हें गूंगी गुड़िया भी कहते थे जिन की आड़ में बड़े-बड़े राजनेता प्रधानमंत्री पद को दिशा दे रहे थे।

उनके माता-पिता साथ ही पूरा परिवार देश की आजादी में एक अहम भूमिका निभाया है। जिस समय इंदिरा के पिताजी स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे थे, तो छोटी उम्र में ही इंदिरा ने अपना योगदान देने के लिए महाकाव्य रामायण से प्रेरित होकर एक वानर सेना बनाई थी, जिसमें उनकी उम्र के ही अन्य कई बच्चे शामिल थे।

लेकिन इन सबके बावजूद इंदिरा जी ने यह साबित करके दिखाया है कि महिलाएं भी पुरुषों के भांति ही किसी भी क्षेत्र में किसी से भी कम नहीं है। 

इंदिरा गांधी की शिक्षा Indira Gandhi’s Education in Hindi

एक संपन्न परिवार में जन्म होने के कारण इंदिरा गांधी की शिक्षा दीक्षा विश्व के कुछ बड़े और महंगे शैक्षणिक संस्थानों में पूरी हुई। प्रारंभिक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1935 में रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा निर्मित शांतिनिकेतन के विश्व भारती विश्वविद्यालय में पढ़ाई किया।

कुछ समय तक शांतिनिकेतन में शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात इंदिरा इंग्लैंड के एक सुप्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के उद्देश्य से गई। इसके अलावा इंदिरा जी की शिक्षा अन्य कई दूसरे देशों में हुई। 

यह उस समय की बात है जब भारत को आजादी भी नहीं मिली थी तो एक भारतीय मूल की महिला विदेशों में जाकर शिक्षा प्राप्त कर रही थी।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान उन्होंने ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में अपना समय दिया। सन 1941 में ऑक्सफर्ड से इंदिरा गांधी को अपने पढ़ाई के दौरान ही भारत वापस आना पड़ा जिसके बाद इंदिरा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना प्रारंभ किया। 

फिरोज गांधी से विवाह Marriage to Feroze Gandhi in Hindi 

इंग्लैंड में अपनी पढ़ाई करने के दौरान इंदिरा ने सोमरविल कॉलेज में दाखिला लिया, जहां उनकी मुलाकात फिरोज गांधी से हुई। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही फिरोज और इंदिरा की दोस्ती हुई। 

हालांकि दोनों एक दूसरे से पहले भी इलाहाबाद में मिल चुके थे, लेकिन अपरिचित होने के कारण एक दूसरे को जानते नहीं थे।

समय बीतने के साथ दोनों की दोस्ती ने प्रेम का रूप ले लिया और 16 मार्च 1942 के दिन इलाहाबाद के आंनद भवन में दोनों ने एक वैदिक कार्यक्रम में विवाह कर लिया। गौरतलब है की इंदिरा जी को गांधी उपनाम विवाह के पश्चात मिला था। कहा जाता है कि गांधी जी ने ही इंदिरा नेहरू को गांधी उपनाम प्रदान किया। 

कई लोगों का मानना है कि एक बार फिरोज खान जो कि इंदिरा गांधी के पति थे, उन्हें सैकड़ों लोगों की भीड़ ने सांप्रदायिकता का आरोप लगाते हुए घेर लिया था और उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही थी। 

जब यह घटना महात्मा गांधी जी को मालूम पड़ी तो उन्होंने फिरोज को गांधी उपनाम प्रदान किया। जिसके बाद से इंदिरा खान से गांधी के रूप में जानी जाने लगी।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष President of the Indian National Congress in Hindi

एक उच्च स्तर की दूर दृष्तिता और राजनीतिक समझ इंदिरा गांधी को बचपन से ही अपने पिता के ज़रिए मिलते रहा है। जब इंदिरा छोटी थी तो पंडित नेहरू से मिलने के लिए बड़े-बड़े राजनेता उनके घर आया करते थे। 

अपने पिता के कामों से प्रेरित होकर छोटी उम्र से ही इंदिरा अपना योगदान देना चाहती थी। आखिर वह समय आया जब इंदिरा जी के कामों से प्रभावित होकर उन्हें 1959 में चुनाव के पश्चात भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया।

इंदिरा गांधी का कार्यकाल कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर काफी महत्वपूर्ण रहा। अक्सर इंदिरा गांधी अपने पिता पंडित नेहरू के मुख्य कर्मचारियों को मार्गदर्शन प्रदान करती तथा एक मुख्य पद पर अपनी सेवाएं प्रदान करती।

कहा जाता है कि जब इंदिरा गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनाई गई, तब कांग्रेस पार्टी में कई नेताओं और बड़े मंत्रियों ने विद्रोह किया था। शायद एक महिला का दुनिया में सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में सबसे बड़ी पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाना कुछ लोगों को रास ना आया।

27 मई, 1964 एक ऐसा मनहूस दिन था जब भारत ने जवाहरलाल नेहरू जैसे बड़े नेता को खो दिया था। पिता के दुखद देहांत के पश्चात भी इंदिरा गांधी हिम्मत नहीं हारी और पूरे मेहनत से अपने पद पर कार्यरत रहीं।

जिसके परिणाम स्वरूप नए भारतीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के आदेशानुसार चुनाव लड़ी और देश के तत्काल सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में नियुक्त की गई।

प्रथम महिला प्रधानमंत्री के पद पर इंदिरा गाँधी Indira Gandhi as the first woman prime minister in Hindi

एक महिला का प्रधानमंत्री जैसे बड़े पद पर चुना जाना सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है। जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री के चुनाव में भारी मतों से जीत प्राप्त की तो न केवल हिंदुस्तान बल्कि पूरा विश्व आश्चर्यचकित था। 

प्रधानमंत्री का कार्यकाल ही इंदिरा गांधी के जीवन में सबसे बड़ी विवादों और समस्याओं का कारण बना है। उन्हें लोग एक लौह महिला के रूप में यूं ही नहीं याद करते।

1966 में श्रीमती इंदिरा गांधी जी प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त की गई। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी में जैसे भूचाल ही आ गया था। चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस पार्टी दो गुटों में बट गया, जिसमें पहला समुदाय श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में समाजवादी बना तथा दूसरा गुट मोरारजी देसाई के अंतर्गत रूढ़िवादी पार्टी बनी।

यदि देखा जाए तो मोरारजी देसाई जो कि कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते थे, उनकी वजह से ही कांग्रेस पार्टी में फूट पड़ी। देसाई जी यह आशा कर रहे थे कि प्रधानमंत्री का पद उन्हें प्राप्त होगा लेकिन हुआ इसके उलट। 

इंदिरा गांधी को गूंगी गुड़िया का नाम मोरारजी देसाई के द्वारा ही प्रदान किया गया था। ना चाहते हुए भी इंदिरा गांधी ने मोरारजी देसाई को भारत का उप प्रधानमंत्री पद तथा वित्त मंत्री पद प्रदान किया।

भारत को परमाणु शक्ति दिलाने का महत्वपूर्ण संघर्ष इंदिरा गांधी जी के कार्यकाल में ही किया गया था। भारतीय इतिहास में एक एतिहासिक दिन जब 1974 में राजस्थान के पोखरण में अनौपचारिक तरीके से परमाणु परीक्षण किया गया जो सफल रहा।

1971 में इंदिरा गांधी के दूर दृष्टिता के परिणाम स्वरूप पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान से आजादी मिली और वह एक स्वतंत्र राष्ट्र बांग्लादेश के नाम से उभरा।

यह वह समय था जब हमें आजादी मिले कुछ साल ही बीते थे और ना ही पर्याप्त हथियार ना ही अर्थव्यवस्था अच्छी थी लेकिन हमारे एक मित्र राष्ट्र रसिया की सहायता से भारत ने यूएसए और द ग्रेट ब्रिटेन को भी युद्ध स्तर पर सबक सिखाया था और पड़ोसी देश बांग्लादेश को आजाद करवाने में अपनी भूमिका निभाई थी।

1981 में कुछ गिने-चुने अलगाववादी सिख आतंकवादी समूह ने जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में भारत के टुकड़े करके एक स्वतंत्र राष्ट्र की मांग की। इंदिरा गांधी ने खालिस्तानी समूह का खात्मा करने के लिए कई ऑपरेशंस चलाएं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण ब्लू स्टार ऑपरेशन था। 

ब्लू स्टार ऑपरेशन में एक गलती की गई जिसके परिणाम स्वरूप दूसरे सामान्य लोगों को भी क्षति पहुंची और साथ ही अमृतसर के पवित्र स्वर्ण मंदिर में जहां खालिस्तानियों ने शरण ली थी, उसे भी क्षति पहुंची जिसके बाद लोगों का गुस्सा इंदिरा गांधी पर फूट पड़ा।

प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए इंदिरा गांधी ने ऐसे ढेरों कार्य किए हैं, जिन्हें आज तक भुलाया नहीं जा सका है। कई बेहतरीन निर्णय के जरिए देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने की मुहिम चलाई, तो पूरे देश में आपातकाल लगाने के निर्णय से उनकी छवि लोगों में बेहद बुरी बन गई। 

1975 में जब पूरे हिंदुस्तान में राष्ट्रीय आपातकाल लगने की घोषणा की गई तो लोगों में जैसे हड़कंप मच गया था। यह आपातकाल इतिहास का एक काला पन्ना माना जाता है, जहां सैकड़ों लोगों के अधिकारों को सरेआम कुचल दिया गया था। 

परिणाम स्वरूप इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री के अगले चुनाव में बुरी तरह हार गई और कांग्रेस पार्टी भी कई टुकड़ों में बंट गई।

हरित क्रांति में योगदान Contribution to Green Revolution in Hindi

1960 तक भारत फसल उत्पादन के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहा करता था। उस समय हमारी आर्थिक व्यवस्था भी अच्छी नहीं थी जिससे देश में कुपोषण और भुखमरी की महामारी ने काफी विस्तृत रूप ले लिया था। 

इंदिरा गांधी जी ने इस समस्या को नजर अंदाज करने के बजाय मुख्य ध्यान केंद्रित किया जिसके परिणाम स्वरूप कृषि के क्षेत्र में कई प्रावधान और सरकारी लाभ किसानों को दिए गए।

आजादी के बाद भारतीय किसानों के दिन रात मेहनत करने के नतीजे स्वरूप हिंदुस्तान में हरित क्रांति आई जिसके बाद भारत से कुपोषण की दर लगातार कम होते गई। हरित क्रांति में इंदिरा गांधी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। 

इंदिरा जी के कार्यकाल में किसानों के लिए कई आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई गई, जिनमें अच्छे गुणों के अंकुरित बीज और खाद्य बेहद कम मूल्य के उपलब्ध कराए गए।

सहकारी अनुसंधान की सहायता से नए उद्योगीकरण के अलावा श्वेत क्रांति लाई गई, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को एक बड़ा लाभ पहुंचा। भूमि अनुदान के साथ ही कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बेहतरीन वैज्ञानिक तकनीकी और संस्थाएं बनाई गई।

इंदिरा गांधी की हत्या Death of Indira Gandhi in Hindi

पंजाब में बढ़ रहे खालिस्तानी गतिविधियों पर तंज कसने के लिए इंदिरा गांधी ने सिखों के धार्मिक स्थल पर ब्लू स्टार ऑपरेशन के जरिए खुलेआम सैनिकों को गोलियां बरसाने का आदेश दिया, जिससे सैकड़ों मासूम लोगों की जान गई और सिखों के धार्मिक स्थल को क्षति पहुंचने से उनके सम्मान को ठेस पहुंचा। परिणाम स्वरूप इस घटना के कारण लोगों में इंदिरा गांधी के प्रति रोष भर गया।

31 अक्टूबर 1984 के दिन जब इंदिरा गांधी दिल्ली में अपने प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में टहल रही थी तभी दो हथियारबंद लोगों ने उसी समय उनकी हत्या कर दी। वो दो लोग और कोई नहीं बल्कि श्रीमती गांधी के सीख अंगरक्षक थे। 

दरअसल दूसरों के भांति ही उनके सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दो अंगरक्षक अपने धार्मिक स्थल के अनादर के कारण निराश थे और क्रोधित भी, इसके परिणाम स्वरूप उन्होंने इंदिरा गांधी की निर्मम हत्या कर दी।

जिस समय यह घटना घटी थी, पूरे देश में अशांति का माहौल छा गया था। क्योंकि एक प्रधानमंत्री की इस तरह हत्या कर देना पूरे हिंदुस्तान के लिए एक शर्मनाक घटना थी। मुठभेड़ में दोनों हथियारबंद लोगों को उसी वक्त अन्य अंगरक्षकों द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया।

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